फिल्म समीक्षा: एक श्रीमान एक श्रीमती

क्यों न अपने बच्चों के साथ बैठकर एक सिनेमा देखा जाए, एक ऐसा पारिवारिक सिनेमा जो आपको पुराने ज़माने की याद दिलाए, और आपके बच्चो को हंसा कर तनाव मुक्त करे. हम बात कर रहे हैं अभिनेता शशि कपूर और अभिनेत्री बबिता कपूर द्वारा अभिनीत 1969  में प्रसारित सिनेमा एक श्रीमान एक श्रीमती की, जो आपको हंसा-हंसाकर साठ के दशक की प्रचलित कहानी से रूबरू कराएगी.

सचिन भौमिक की कहानी एवं पटकथा पर आधारित यह सिनेमा कहानी है लखपति चौधरी हुकूमत राय (ओम प्रकाश) की भांजी दीपाली (बबिता कपूर) की, जिसकी मुलाकात ‘लैक्मे क्वीन’ प्रतियोगिता के दौरान अजित (प्रेम चोपड़ा) से मुंबई में होती है. अजित, जो पहले से ही शैरी (हेलेन) के साथ संबंध में है, दीपाली की दौलत एवं खूबसूरती पर फ़िदा होकर उसे अपने झूठे प्यार के झांसे में फंसा लेता है.

दीपाली वापस दिल्ली चली जाती है, और उसकी मां को उसके प्यार की भनक लग जाती है. कहानी में मज़ा तब आता है जब वो पड़ोस में मुंबई से आए किराएदारों को दीपाली का आशिक समझकर चौधरी हुकूमत राय को उन्हें धमकाने के लिए के लिए भेज देती है.

भप्पी सोनी द्वारा निर्देशित इस सिनेमा में अब सिलसिला शुरू होगा चौधरी साहब और प्रीतम (शशि कपूर) के बहुत मज़ाकिया दृश्यों का, जिसे आगे बढ़ाएगी दीपाली और प्रीतम की नौकझोंक. तरु दत्ता के छायांकन से संजोए हुए इस सिनेमा में आप देखेंगे कि कैसे चौधरी साहब प्रीतम को स्वीकार करते हैं, और कैसे प्रीतम झूठे अजीत के प्यार में पागल हुई दीपाली को उसका असली रूप दिखाता है.

रफ़ी, लता मंगेशकर, आशा भोंसले के संगीत से पिरोए हुए इस सिनेमा के हास्यप्रद दृश्य, हेलेन के नृत्य, सुरीले गाने आपका इंतजार कर रहे हैं. देखिएगा ज़रूर.


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