उपभोक्तावाद खतरनाक वायरस

क्रिसमस के पूर्व पोप फ्रांसिस ने कंज्यूमरिज्म यानी उपभोक्तावाद पर हमला करते हुए इसे एक वायरस की संज्ञा दी है.

उन्होंने कहा कि “उपभोक्तावाद एक वायरस है जो हमारी जड़ों पर, हमारे विश्वास पर हमला करता है.”

इस चेतावनी के साथ पोप ने इस साल एडवेंट सीजन की शुरुआत की.

सेंट पीटर की बेसिलिका में 1 दिसंबर को अपने संबोधन में पोप ने कहा कि एडवेंट यानी ‘आगमन’ शब्द का अर्थ है ‘आने वाला’.

“यह शब्द हमें याद दिलाता है कि यीशु आते हैं, और यह हमारी आशा की जड़ है, दुनिया की विपत्तियों के बीच सुरक्षा है. भगवान हमारे पास आते हैं, एक सांत्वना शब्दों से नहीं बल्कि एक उपस्थिति से, ऐसी उपस्थिति जो हमारे बीच होती है.”

“वह 2,000 साल पहले आए थे और अंत समय में भी आएंगे. वह तो आज भी हमारे जीवन में आते हैं, प्रभु हमसे कभी नहीं थकते, वह हमसे मिलने, आने की इच्छा रखते हैं.”

उन्होंने लोगों से कहा कि उपभोक्तावाद के प्रचलन से आपको लगता है कि जीवन केवल उसी पर निर्भर करता है जो आपके पास है, और इसलिए आप भगवान को भूल जाते हैं.

“जो आपसे मिलने आते हैं, आपके भाई या बहन जो आपके दरवाजे पर दस्तक देते हैं, उनसे कई बार झुंझलाहट होती है क्योंकि आपको लगता है कि बाजारवाद के दौर में वे आपकी योजनाओं पर पानी फेर देते हैं.”

“हम आज यह देख रहे हैं कि जहां उपभोक्तावाद शासन करता है वहां कितनी हिंसा, यहां तक ​​कि मौखिक हिंसा, कितना गुस्सा और किसी भी कीमत पर दुश्मन को खोजने की इच्छा है. इसलिए, दुनिया हथियारों से भरी है जो हिंसा भड़काती है, और हम इस तथ्य पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि हमारे अंदर कितना क्रोध समा गया है.”

ब्लैक फ्राइडे और साइबर मंडे जैसे साल के दो सबसे बड़े खरीदारी दिनों के बीच कही गई ये बातें ऑनलाइन बिक्री को कितना प्रभावित करेगी यह कहना मुश्किल है.

क्रिसमस की शुरुआत से पहले ही और पोप के आगाज़ की पूर्व संध्या पर अमेरिका में तो ऑनलाइन बिक्री 7.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी, जो पिछले साल से लगभग 20% ज्यादा है.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी