खजुराहो के पास और क्या है?

खजुराहो के आसपास अनेक ऐसे स्थान हैं जो पर्यटन और भ्रमण के लिहाज से काफी प्रसिद्ध हैं. कोशिश करें कि जब भी आप खजुराहो जाएं वहां गाड़ी से ज़्यादा पैदल या फिर साइकिल को प्राथमिकता दें ताकि आप गांव से निकलती हुई नहरों का भी आनंद ले सकें और फिर अपने प्रियजनों को अपने अनुभवों का पोस्टकार्ड भेजना न भूलें.

वैसे तो खजुराहो चंदेल राजाओं के राज में बने दसवीं, ग्यारहवीं एवं बारहवीं शताब्दी के मंत्रमुग्ध कर देने वाले मंदिरों के लिए जाना जाता है. अधिकांश लोग वहां तीन दिशाओं के हिसाब से बंटे इन्हीं 25 हिन्दू व जैन मंदिरों, विशेषतः मंदिरों की दीवारों पर बने भित्तिचित्रों, से रूबरू होने जाते हैं.

परन्तु इन मंदिरों के साथ-साथ खजुराहो की सुंदरता वहां के कुछ अन्य स्थानों, कलाओं एवं वस्तुओं में भी देखने को मिलती है. सचमुच, भारतीय संस्कृति के कई ऐसे पहलू हैं जिनका लक्ष्य या फिर अर्थ समझना मुश्किल लगता है.

रनेह फाल्स

यह जगह कर्णावती (केन) नदी पर बने पानी के झरने को देखने के लिए जानी जाती है. इसके अलावा यहां घड़ियाल, नील गाय, लंगूर, बंदर, हिरण भी आसानी से देखे जा सकते हैं. ठोस चट्टानों के बीचों बीच जब नदी एवं झरना दिखाई पड़ता है तो उसका रोमांच ग़जब होता है.

पन्ना नेशनल पार्क

यदि आप शेर और तेंदुआ देखने के इच्छुक हैं तो पन्ना नेशनल पार्क में आप अपने लिए जीप में सीट बुक करवा सकते हैं. कई एकड़ में फ़ैली यह जगह सफ़ारी के लिए जानी जाती है. तीन से चार घंटे के सफ़र में आप शेर व तेंदुए से भेंट कर सकते हैं.

पांडव फाल्स

पांडव फाल्स एक ऐतिहासिक जगह है जहां आपको प्रकृति का करिश्मा देखने को मिलेगा. ऊंची चट्टानों के बीचों बीच से पानी की धारा जब सूरज की रौशनी में बीच तालाब में जाती हुई दिखाई पड़ती है तो नज़ारा देखने लायक होता है. मान्यता है कि इसी जगह पांचों पांडव एवं उनकी पत्नी द्रौपदी अपने वनवास के 13 वें साल में यहां कुछ समय तक रुके थे इसलिए इसका नाम पांडव फाल्स है. यहां आप प्रकृति द्वारा दिए गए ठंडे और सादे दोनों तरह के पानी का सेवन कर सकते हैं जिसके आगे आजकल के फिल्टर सब फ़ेल हैं. जगह के बीचों-बीच स्थित तालाब को काफ़ी ऊपर से देखने पर आपको दिल का आकार नज़र आता है जो, ऐसी मान्यता है कि पांडवों और द्रौपदी के बीच के प्यार को दर्शाता है और जहां का पानी पी कर आप अपने चाहने वालों को पाने के लिए दुआ कर सकते हैं.

इन सब के अलावा यदि आपको पहाड़ों की ऊंचाई को चूमने का शौक है तो वह भी आप यहां कर सकते हैं. खजुराहो से लगभग 10 से 15 किलोमीटर दूर गांव में आपको अच्छे ख़ासे पहाड़ चढ़ने को मिल सकते हैं जहां पहुंचकर सूर्यास्त देखने का अपना ही मज़ा है. ख़रीदारी के लिए बांस को सुखा कर बनाई जाने वाली साड़ी बेहद सस्ते दामों में आपको यहां आसानी से मिल जाएगी जो पहनने में काफ़ी सुंदर एवं हल्की रहती है. यदि आप नृत्य व संगीत में रुचि रखने वालों में से हैं तो शिल्पग्राम स्थित खजुराहो सांस्कृतिक केंद्र में जाना न भूलें जहां आपको बुंदेलखंडी गीत एवं नृत्य को देखने का अवसर मिलता है.


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