ब्रिटिशकाल के जेलों में अंग्रेजों के जुल्मों से आज भी दिल सहम उठता है. जी हां हम बात कर रहे है ब्रिटिशकाल में निर्मित केंद्रीय जेल डगशाई की जिसे आज भी देखकर किसी भी शख्स की रूह कांप उठती है.
हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार पर स्थित पर्यटन नगरी कसौली से 15 किलोमीटर दूर डगशाई कैंट है जंहा ये जेल स्थित है.
पहाड़ी पर स्थित डगशाई गांव को महाराजा पटियाला ने अंग्रेजों को दान में दिया था और अंग्रेजों ने इसको अपनी छावनी बनाया था. उन्होंने यहां बागियों को रखने के लिए जेल का भी निर्माण करवाया था.
टी शेप में किलेनुमा है जेल
जेल किलेनुमा है और दूर से टी शेप में नजर आता है. जेल में कुल 54 कैद कक्ष है जिसमें से 16 को एकांत कैद कक्ष कहा जाता है, बाकी साधारण कैद कक्ष है. जेल की छत व फर्श लकड़ी की बनी है जिससे कैदी की किसी भी गतिविधियों की आवाज को चौकसी दस्ते द्वारा आसानी से सुना जा सकता था. जो कैदी अनुशासनहीन होते थे उनको एकांत कैद कक्ष में डाल दिया जाता था जिसमें हवा व रोशनी का कोई भी प्रबंध नही होता था.
1849 में हुआ था निर्माण
जानकारी के अनुसार इस केन्द्रीय जेल का निर्माण 1849 में 72,875 रु. की लागत से किया गया था. रोशनी एवं हवा के लिए एक मजबूत खिड़की दी गई. भूमिगत पाईपलाईन द्वारा भी अंदर हवा आने की सुविधा है, जो बाहर की दीवारों में जाकर खुलती है. प्रत्येक कैदकक्ष के गेट का निर्माण ढलवे के लोहे के द्वारा की गई है जिसे कैदी किसी खास हथियार के बिना काट नही सकता.
जेल एक मजबूत किले की तरह है जिसका मुख्य द्वार बंद होने के बाद ना तो फांदकर बाहर जाया जा सकता है व ना ही अंदर प्रवेश किया जा सकता है. अंग्रेजों ने इस जेल को आयरिश कैदियों को रखने के लिए बनाया था. सन 1857 में कसौली क्रांति के दौरान भी क्रांतिकारियों को इस जेल में ठूंसा गया था.
गांधीजी भी रहे हैं इस जेल में
डगशाई जेल के इतिहास को देखें तो 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस जेल में दिन काटे थे. उस समय जिस सेल में उन्होंने अपना वक्त बिताया था उसके बाहर महात्मा गांधी की तस्वीर लगाई हुई है. यहां फांसी भी दी जाती थी.
दाग-ए-शाही से बिगड़ा नाम
बहुत ही कम लोग जानते है कि जो भी कैदी जेल काटकर निकलता था उसके माथे पर दाग-ए-शाही की अमिट मोहर लगा दी जाती थी, जिसे देखकर हर किसी को यह पाता चल जाता था कि वह शख्स दाग-ए-शाही जेल की सजा काटकर आया है. कालान्तर में दाग ए शाही अपभ्रंश हो डगशाई नाम से प्रचलित हो गई.