टीम इंडिया पर सवाल

भारतीय टीम ने जब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में लगातार वनडे सीरीज जीत ली थी तब यही कहा गया था कि भारत की विश्व कप की टीम तैयार हो चुकी  है और एक-दो स्थान भरने बाकी रह गए हैं.

लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की घरेलू वनडे सीरीज के चार मैचों के बाद लग रहा है कि भारतीय टीम के कई तार अभी लटपटाए हुए हैं, जबकि बिखरे सूत्रों के साथ भारत पहुंची ऑस्ट्रेलियाई टीम कहीं ज्यादा बेहतर नजर आने लगी है.

भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसकी जमीन पर 2-1 से और न्यूजीलैंड को 4-1 से शिकस्त दी थी लेकिन अपनी जमीन पर ऑस्ट्रेलिया से पहले दो मैच जीतने के बाद भारत ने अगले दो मैच काफी खराब अंदाज में गंवा दिए. मोहाली में चौथे वनडे में 358 रन बनाने के बाद उसका बचाव नहीं कर पाना टीम पर कई सवाल खड़े करता है.

चौथे मैच में शिखर धवन और रोहित शर्मा की जोड़ी ने बड़ी साझेदारी निभाई लेकिन इससे पहले तक दोनों के ही प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था. पिछले तीन मैचों में शिखर और रोहित एक-एक बार शून्य पर भी आउट हुए. कप्तान विराट कोहली ही अपने प्रदर्शन में निरंतरता दिखा पा रहे हैं और चार मैचों में उन्होंने दो शतक लगाए हैं.

शीर्ष क्रम में अंबाटी रायुडू विश्वास जगाते नजर नहीं आ रहे हैं, जबकि युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने चौथे मैच में महेंद्र सिंह धोनी की अनुपस्थिति में मौका मिलने पर बेहद खराब विकेटकीपिंग का प्रदर्शन कर खुद पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.

पंत के लिए माना जा रहा है कि वह विश्व कप टीम में धोनी के साथ दूसरे विकेटकीपर के रूप में रहेंगे, लेकिन विकेट के पीछे ऐसा ढीला प्रदर्शन उन्हें टीम में बने रहने की गारंटी नहीं देता.

बार-बार प्रयोग किए जाने से दोनों स्पिनरों – युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव का तालमेल बिगड़ा नजर आ रहा है. मध्य ओवरों में विकेट निकलने वाले इन दोनों गेंदबाजों की मोहाली में जमकर पिटाई हुई. दोनों ने अपने 20 ओवरों में 144 रन लुटाए और मात्र दो विकेट ही ले पाए.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज से भारत को फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है.

कप्तान विराट को इन दोनों स्पिनरों पर काफी भरोसा है और यही वजह है कि रविचंद्रन अश्विन जैसे अनुभवी ऑफ स्पिनर पिछले लगभग दो साल से भारतीय वनडे टीम से दूर हैं.

स्पिन विभाग जैसी स्थिति तेज गेंदबाजी की बनी हुई है और लगातार प्रयोगों से तेज गेंदबाजी की दिशा ठीक नजर नहीं आ रही है.

केवल जसप्रीत बुमराह ही खुद से न्याय कर पा रहे हैं, जबकि बार-बार अंदर बाहर किए जाने का मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार दोनों के ही आत्मविश्वास पर असर पड़ा है.

शमी और भुवी दोनों ही अपनी सटीक लेंथ से कोसों दूर हैं. आलराउंडर हार्दिक पांड्या पीठ की परेशानी के कारण पूरी सीरीज से बाहर हो गए, इसलिए उनका पूरा टेस्ट नहीं हो पाया.

पांड्या और लोकेश राहुल के महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी  करने के मामले की बीसीसीआई के लोकपाल से जांच होनी है इसलिए अभी यह कह पाना मुश्किल है कि इनमें से किसे विश्व कप टीम में जगह मिल पाएगी.

आलराउंडर केदार जाधव और विजय शंकर ने एकाध अच्छे प्रदर्शन से विश्व कप टीम के लिए अपनी दावेदारी पेश की है लेकिन विजय शंकर की गेंदबाजी पर कप्तान विराट को पूरा भरोसा नजर नहीं आता है, चाहे उन्होंने दूसरे वनडे में आखिरी ओवर में दो विकेट निकाल कर भारत को जीत क्यों न दिलाई हो.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज से भारत को फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है. हालांकि इस सीरीज से टीम की कमियां सामने निकल कर आई हैं, लेकिन अब विश्व कप के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है.

इस सीरीज के बाद भारत का कोई वनडे नहीं है और उसके खिलाड़ियों को 23 मार्च से डेढ़ महीने तक आईपीएल खेलना है जिससे खिलाड़ियों का 50 ओवर का टेस्ट नहीं हो पाएगा.

इस सीरीज ने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की सिरदर्दी और बढ़ा दी है कि उन्हें कौन से 15 खिलाड़ी चुनने है जबकि एक महीने पहले तक माना जा रहा था कि भारत की विश्व कप टीम लगभग तैयार हो चुकी है.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी