पांच साल में पांच खेल मंत्री

पांच साल पांच खेल मंत्री. सुनने में कुछ अजीब सा लगता है लेकिन यह सही है.

मोदी सरकार में पिछले खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को इस बार मौका नहीं दिया गया और पिछले गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू को नया खेल मंत्री बना दिया गया.

पिछले पांच साल से अधिक समय में रिजिजू पांचवें खेल मंत्री बने हैं

मोदी सरकार में नए खेल मंत्री बने किरण रिजिजू ने 31 मई को अपना पदभार संभाला. 

मोदी सरकार में पिछले खेलमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को इस बार मौका नहीं दिया गया और पिछले गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू को नया खेल मंत्री बना दिया गया.

रिजिजू मोदी सरकार के दो कार्यकाल में पांचवें खेल मंत्री बने हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल में सर्बानंद सोनोवाल, विजय गोयल, जितेन्द्र सिंह और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने खेल मंत्री का पदभार संभाला था और मोदी के दूसरे कार्यकाल में रिजिजू को खेल मंत्री का पदभार सौंपा गया है. वह पिछली सरकार में गृह राज्य मंत्री थे.

रिजिजू अरुणाचल प्रदेश के अरुणाचल (वेस्ट) से लोकसभा सांसद हैं. लोकसभा में यह उनका दूसरा कार्यकाल है. रिजिजू की बैडमिंटन, फुटबॉल और एथलेटिक्स में अच्छी रुचि है और वह राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले चुके हैं.

राठौड़ को खेलमंत्री बनाए जाने के समय सभी ने इस फैसले को सराहा था कि एक खिलाड़ी और वह भी ओलंपिक पदक विजेता को खेल मंत्री बनाया गया है. इससे खिलाड़ियों का भला होगा क्योंकि एक खिलाड़ी होने के नाते वह खिलाड़ियों के दुःख दर्द को अन्यों के मुकाबले बेहतर समझेंगे.

राठौड़ ने अपना पदभार संभालते ही कहा था कि वह खिलाड़ियों के मामलों को फाइलों में नहीं उलझने देंगे लेकिन नए चुनाव के बाद उनका मामला ही कहीं खो गया और उन्हें कोई मंत्री पद नहीं दिया गया.

अपना पदभार संभालने के बाद रिजिजू ने  कहा कि पिछले खेल मंत्री राठौर उनके अच्छे दोस्त हैं और उन्होंने साथ-साथ काम किया है. उनकी कोशिश रहेगी कि पिछले खेल मंत्रियों की अच्छी नीतियों को जारी रखें और उसमें नई नीतियों का इजाफा करें.

खेलों को लेकर कहा जाता है कि जितना अभ्यास करोगे उतना निखरोगे लेकिन मंत्रालय में मामला इसके उलट है.

खेल मंत्री जब तक अपने काम को समझता है, नई नीतियां बनाता है, खिलाड़ियों से उसका तालमेल बढ़ता है, वह खिलाड़ियों को और खिलाड़ी उन्हें समझते हैं तब खेल मंत्रालय किसी और को दे दिया जाता है और सारी कवायद नए सिरे से शुरू होती है. यह सिलसिला चलता चला आ रहा है और ओलंपिक में हमारा प्रदर्शन कभी ऐसा नहीं होता कि हम गर्व से कह सकें कि हम एक खेल महाशक्ति हैं.

रिजिजू खुद कहते हैं कि वह अपने मंत्रालय के अधिकारीयों से बात करेंगे, चीजों को समझेंगे और उसके बाद ही जाकर कुछ कह पाएंगे कि अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक के बारे में उनकी क्या रणनीति रहेगी.

नए खेल मंत्री ने कहा, “ओलंपिक दुनिया के सबसे बड़े खेल महोत्सव हैं, उसके अलावा एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भी हमारी नज़र रहेगी. मैं अपने मंत्रालय के अधिकारियों से बात करूंगा और उसके बाद ही हम ओलंपिक को लेकर अपनी नीतियां तैयार करेंगे.”

वैसे यह अच्छा है कि रिजिजू युवा हैं और खिलाड़ियों की समस्याओं को समझने में दिलचस्पी दिखाएंगे. उनका मानना है कि यह मंत्रालय उन्हें देश के युवाओं की सेवा करने का शानदार मौका देगा. लेकिन रिजिजू को अगला ओलंपिक एक बड़ी चुनौती देगा और उन्हें भारतीय खेलों को पिछले रियो ओलंपिक के दो पदकों की संख्या से आगे ले जाना होगा.


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