जिराफ़, तोते, नागफ़नी हो सकते हैं विलुप्त

जिराफ़ (giraffes), तोते (parrots), बांज के पेड़ (oak tree) और नागफ़नी (cacti) व समुद्री शैवाल (seaweed) विलुप्ति के ख़तरे वाली प्रजातियों की सूची में शामिल किए गए हैं.

Animals on verge of extinction

संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा समर्थित एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, पशु, पक्षियों और पेड़ों की लगभग दस लाख प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं.

गौरतलब है कि पृथ्वी पर कठिन परिस्थितियों में भी जीवित बचे रहने की क्षमता में, समुद्री शैवाल का नाम सबसे आगे आता है. कुछ आधुनिक समुद्री शैवाल की क़िस्में तो लगभग 1.6 अरब साल पुरानी हैं.

मशीनी हस्तक्षेप, बढ़ते समुदी तापमान और तटों पर बुनियादी ढांचों के निर्माण से, इनकी प्रजातियां ख़त्म होती जा रही हैं.

जानवरों को एक प्रकार का समुद्री शैवाल, केल्प, खिलाने से, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने में मदद मिल सकती है.

समुद्री शैवाल, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वे समुद्री जीवों के लिए आवास और भोजन प्रदान करते हैं, जबकि बड़ी क़िस्में – जैसे केल्प – पानी के नीचे मछलियों के लिए, नर्सरी के रूप में कार्य करती हैं.

वहीं दुनिया के 430 प्रकार के बांज के पेड़ों में से 31 प्रतिशत के विलुप्त होने का ख़तरा है. दुनियाभर के पेड़ों को विभिन्न स्रोतों से ख़तरा है, जिनमें उद्योग और कृषि के लिए वनों की कटाई, शरीर गर्म रखने व खाना पकाने हेतु जलाने वाली लकड़ी एवं जंगलों में आग लगने जैसे जलवायु सम्बन्धित ख़तरे शामिल हैं.

Girrafe Animals on verge of extinction

जिराफ़ के सम्बन्ध में दें कि मांस के लिए इसका शिकार किया जाता है. साथ ही, लकड़ी की निरन्तर कटाई, और कृषि भूमि की बढ़ती मांग के कारण, उनके आवासों का क्षरण होता जा रहा है. अनुमान है कि जंगलों में अब केवल 600 पश्चिम अफ़्रीकी जिराफ़ ही बचे हैं.

वर्तमान जैव विविधता संकट बढ़ता जा रहा है

दुनिया भर में जैव विविधता की क्षति हो रही है, और आगे भी इसी तरह काम चलते रहने से इस परिदृश्य के और ख़राब होने का अनुमान है.

संसाधनों का असतत तरीक़े से उपयोग कर हम न केवल विभिन्न प्रजातियों का नुक़सान कर रहे हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को भी जोखिम में डाल रहे हैं.

सतत उपयोग तब होता है जब मानव कल्याण के कार्यों में, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखा जाए. इसके लिए ज़रूरी है कि दुनिया भर की सरकारें बेहतर कृषि, टिकाऊ खाद्य प्रणालियों और प्रकृति-सकारात्मक नवाचारों को प्रोत्साहित करने की दिशा में कार्य करें.


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