टेक एसिस्टेंट तय कर रहे फ्यूचर

टेक्नोलॉजी तय कर रही है हमारा फ्यूचर

अपने स्मार्टफोन में गूगल मैप्स देखते समय कोई अनजान आवाज कैसे आपको दिशा बताती है और आपके गंतव्य तक पहुंचा देती है. दरअसल आपके फोन में कई एसिस्टेंट काम कर रहे होते हैं जिस कारण घर बैठे-बैठे आपकी ट्रेन और फ्लाइट की टिकट बुक या कैंसिल कर दी जाती है. यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि आपके फोन में एक स्मार्ट एसिस्टेंट छुपा है.

एप्पल फोन में तो सीरी नाम का असिस्टेंट काफी कुछ आसान बनाता है और गूगल का एसिस्टेंट ‘डुप्लेक्स’ एप्पल के सिरी से ज्यादा स्मार्ट है.

आपके एक निर्देश पर अब आपका फोन खुद बात करके टैक्सी या एंबुलेंस बुला लेता है. रेस्तरां या सैलून में टेबल या समय सुरक्षित कर देता है. ये एसिस्टेंट जटिल से जटिल सवालों का भी उत्तर ढूंढ लेता है. और यह सारा कुछ बिना आपके सीधे हस्तक्षेप के हो रहा है.

गूगल का यह एसिस्टेंट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आपके व्यवहार पर नजर रखता है. यह आपकी भाषा और लिखने के तरीके को भी याद रखता है. धीरे-धीरे आपका यह साया आपको इतना करीब से जानने लगेगा कि वह हर चीज में मदद करने लगेगा.

अलग-अलग तरह के इलेक्ट्रॉनिक आइटम फिलहाल एक दूसरे से कनेक्ट नहीं होते, लेकिन भविष्य में सभी आपस में कनेक्ट होने लगेंगे.

गूगल के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचई के मुताबिक आप न्यूयॉर्क में कहीं खड़े हो जाएं, एक फोटो लें और गूगल एसिस्टेंट आपको बताता है कि यह इमारत किसने डिजायन की.

सहायक तुरंत आपको सटीक जानकारी मुहैया कराता है. भविष्य में गूगल एसिस्टेंट और गूगल मैप्स साथ में काम कने वाले हैं और गाड़ी पार्क करने की जगह भी आपको बताएंगे.

यह गूगल का एक ऐसा फीचर है जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनी ने किस तरह से अपने वाइस बेस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इंसानों की तरह काम करने के लिए बनाया है.

तो क्या यह फीचर आने वाले समय में लोगों की जगह ले सकता है? आखिर कितना आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) हमारे लिए सही रहेगा. अलग-अलग तरह के इलेक्ट्रॉनिक आइटम फिलहाल एक दूसरे से कनेक्ट नहीं होते, लेकिन भविष्य में सभी आपस में कनेक्ट होने लगेंगे.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी