रेनबो, पेंसिल बॉक्स और वेलेंटाइन

इस वेलेंटाइन महीने में कुछ ऐसे फोटो शेयर करें जिसमें इन्द्रधनुषी रंगों का मिश्रण हो. वैसे भी सर्दियां रंगहीन होती हैं और सर्दियों में रंग भरने का इससे बेहतरीन मौका और क्या हो सकता है. प्रसिद्द लेखक खलील जिब्रान ने सही कहा है- ‘हे खुदा, हे खुदा मुझे मेरी रुह को रंगों से नहाने दो, मुझे सूर्यास्त को निगलना है और इंद्रधनुष को पीना है.’

हममें से कई लोग बेजान और बेनूर सर्दियों के उदासी में अपने जीवन के रंगों को खो देते हैं. मेरे लिए सर्दियों का धूसर रंग मेरे मूड के तरह ही है जो हमेशा मुरझाते रहता है. मटमैली उदासी भरे सर्दियों के दिन, पेड़ों की मजबूत टहनियों और सूर्य की मुरझाती रोशनी के बीच सर्दियों की खूबसूरती को याद करने के लायक मेरे लिए कुछ नहीं है.

Valentine

पिछले दिनों एक फोटो चैलेंज कांटेस्ट में मुझे भाग लेने का मौका मिला. मेरी चाहत थी कि मैं कुछ भड़कीले और चटकीले रंगों का इस्तेमाल करूं. फिर, मैंने जो इमेज कांटेस्ट के लिए शेयर किया वह दरअसल मेरे पति के कलर पेंसिल का था. इन पेंसिल को वह अपने हाई स्कूल के दिनों में पेंटिंग के लिए इस्तेमाल करते थे.

कैसे अनोखे बंधन में वह अब भी अपने कलर पेंसिल बॉक्स से बंधे थे…! उन्हें आज भी अपनी उन रंगीन पेंसिल से प्यार था. यह सोच-सोचकर मैं पहले से ही अवाक थी. फोटो खींचने के लिए मैंने उन सभी कलर पेंसिल को बॉक्स से बाहर निकाला. फिर, रंगीली पेंसिल को छितरा कर मैंने रंगों का एक कोलाज तैयार किया.

मुझे अपनी सास का ख़ास शुक्रिया अदा करना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही उस पेंसिल बॉक्स को मुझे दिया, अपने घर के किसी पिटारे से एक दिन अचानक ही निकाल कर. मुझे दिखाने के लिए वह उसे लाईं थीं. वह मेरे पति के बचपन के उन क्षणों को मुझसे साझा करना चाहती थीं. वह पेंसिल बॉक्स एक फैंसी मेटल केस में था, जिसे खोलते ही रंगों की पेंसिल ने मेरी आत्मा को झंकझोर दिया.


जेन हुक्स


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी