त्वचा और बालों से सुंदरता जज न करें

हमारी त्वचा (skin), बाल (hair) एवं आंखों के रंग का कारण मेलानिन नामक एक पिगमेंट होता है, जिस पर प्राकृतिक रूप से हमारा कोई ज़ोर नहीं होता. परंतु यह जानकर आश्चर्य होता है कि किस तरह हमारे रंग रूप को लेकर अक्सर हमारे प्रति अजीब धारणाएं बना ली जाती हैं, और फिर उसी के अनुसार हमारे साथ भेदभाव किए जाते हैं.

यदि किसी बच्ची के शरीर पर बाल थोड़े ज्यादा हों तो शिशुवस्था से ही उसकी कोमल त्वचा पर उबटन रगड़ने की सलाह देने वालों की कमी नहीं होती. कुछ उम्र बढ़ने पर भी यदि उसका सांवलापन कम न हो, तो या तो लोग गोरे होने के विचित्र उपाय बताने लग जाते हैं या फिर बच्ची एवं खास कर बच्ची की मां को सहानुभूति देने लग जाते हैं कि जब बच्ची बड़ी होगी तो खुद-ब-खुद रंग रूप बेहतर हो जाएगा.


आश्चर्य तब और अधिक होता है जब यूं तो कुछ लोग पश्चिमी सभ्यताओं की बुराइयां गिनते नहीं थकते, पर बात जब त्वचा के रंग की आती है तो गोरी चिट्टी चमड़ी को ही सराहनीय मानते हैं.


बचपन से अपने रूप को लेकर जब बातें सुनने को मिलती हैं तो उसका बच्चे के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. किशोरावस्था में ये बच्चे अपने आपको कहीं न कहीं अनुपयुक्त समझने लगते हैं तथा सामाजिक रूप से वांछनीय और स्वीकार्य दिखने के लिए हरसंभव जतन करने में जुट जाते हैं. और बड़े होने पर धीरे-धीरे वह समझौते करना तो सीख जाते हैं लेकिन कई कड़वी यादें कभी उनका पीछा नहीं छोड़तीं.

कुछ रिसर्च और खोजों में यह भी पाया गया है कि एक लंबे अरसे तक औरतें अक्सर खुद को सामजिक उम्मीदों के अनुसार रंग रूप में खरा ना समझ कर, मनोबल गिरने का शिकार होती हैं. ऐसे में ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर धीरे-धीरे उनकी निर्भरता बढ़ने लगती है. शायद यही कारण है कि भारत में अधिकतर महिलाएं यू-टयूबर्स ब्यूटी ब्लौगर्स हैं.

भारत में सौंदर्य और उससे जुड़ी धारणाओं की जितनी गहराई में जाएं समाज की उतनी ही बदसूरत छवि सामने आती जाती है. किसी और से तुलना किया जाना आत्ममहत्व का शमन करता है.

अंततः यदि महिलाएं एक ऐसे पड़ाव तक पहुंच भी जाएं जहां वह समाज के मुख्यधारा की उम्मीदों से परे होकर स्वयं को सराहने लगें, तब अपने इस तय की गई मंजिल तक पहुंच पाने का जश्न तो वे मनाती हैं पर एक अफ़सोस रह जाता है कि काश बचपन से अपने रंग रूप के चिंतन और बड़े होते-होते उसे सुधारने के प्रयासों में वो अनमोल पल गवाएं ना होते.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी