अलग-अलग भाषाओं में रोते हैं बच्चे

एक बच्चे के रोने की आवाज़ से क्या आप बता सकते हैं कि वह किस भाषा में रो रहा है? जर्मन वैज्ञानिकों ने शोध से साबित किया है कि नवजात शिशु अपनी मां की भाषा में रोते हैं.

दुनियाभर के देशों में भले ही माता-पिता को बच्चों के रोने की आवाज़ एक जैसी लगती है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि शिशु जन्म के पहले दिन से ही अपनी मां की ज़ुबान में रोते हैं.

अंतरराष्ट्रीय दल में शामिल शोधकर्ताओं ने शिशुओं पर शोध कर यह पाया कि बच्चे मां के गर्भ में ही मातृभाषा सीखना शुरू कर देते हैं.

नवजात शिशु अलग-अलग अंदाज़ में रो सकते हैं, लेकिन वे उसी आवाज़ में रोते हैं जिस आवाज़ को उन्होंने गर्भावस्था में सुना था.

‘करंट बॉयोलोजी’ में छपे एक शोध की जानकारी में बताया गया है कि नवजात शिशु मां की नकल करने के लिए उनकी भाषा में रोने की कोशिश करते हैं.

मां के गर्भ में ही शिशु पर उसके कानों तक पहुंचने वाली भाषा का असर शुरू हो जाता है. जन्म के बाद शिशु मां का ध्यान खींचने के लिए मां के सुर और आवाज़ की नकल करने की कोशिश करते हैं.

वैज्ञानिकों ने पहले ही साबित किया है कि गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में शिशु बाहर की आवाज़ों, संगीत या मीठी धुनों को याद रख सकते हैं.

वोकल इमीटेशन स्टडी में भी यह पाया गया कि तीन महीने के नवजात शिशु बड़ों से सुनी हुई आवाज़ की नकल कर सकते हैं.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी