अविस्मरणीय जन्मदिवस

आज मैं एक बच्चे के जन्मदिवस पर गई थी. जन्मदिवस मनाना किसी त्यौहार से कम नहीं होता. हम हर्ष पूर्वक सबका जन्मदिवस मनाते हैं. परंतु आज मुझे अपनी ही एक कहानी याद आ गई.

तब मेरा बेटा 10 वर्ष का था. मैं शाम को सैर करके लौटी तो मेरे बेटा घर में अकेला था. मैने देखा वह माचिस जला रहा था. अनजाने भयवश मुझे क्रोध आ गया और मैंने उस पर खूब गुस्सा किया. मुझे डर लगा कि अकेले में माचिस जलाने से कोई दुर्घटना न हो जाए.

पर मेरे बेटे ने कुछ नहीं कहा. उसने बस अपने हाथ बढ़ा दिए. उसके एक हाथ में एक गुब्बारा, जो मैंने उसके लिए ही ख़रीदा था, और दूसरे हाथ में मोमबत्ती और माचिस थी. उसने धीरे से कहा — ‘हैप्पी बर्थडे, मां.’

मैं स्तब्ध रह गयी. मुझे तो याद भी नहीं था कि उस दिन मेरा जन्मदिवस था. मेरी आंखों से आंसू बहने लगे. मैं अपने बच्चे की मासूमियत देखती रह गई. प्रत्येक वर्ष जन्मदिवस आता है और याद दिलाता है कि हमारे बच्चों के कोमल मन की भावनाओं को हम कई बार समझ नहीं पाते.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी