तमिल रानी वेलू नचियार

भाग फिरंगी भाग. भाग… झांसी की रानी आई… बुंदेले-हरबोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी.

अभी तक हमने सिर्फ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की कहानियां किताबों में पढ़ी हैं. लेकिन हम आपको एक ऐसी रानी के बारे में बता रहे हैं जो झांसी की रानी से कम नहीं बल्कि उनकी ही तरह दक्षिण भारत में तमिल रानी थी.

उन्हें वेलू नचियार के नाम से जाना जाता है और साथ ही उन्हें भारत की जॉन ऑफ आर्क कहा जाता है.

रानी वेलू नचियार किसी शाही परिवार की सबसे पहली महिला थीं जिन्होंने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी.

31 दिसंबर 2008 को एक स्मारक डाक टिकट जारी करके राष्ट्र ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की.
31 दिसंबर 2008 को एक स्मारक डाक टिकट जारी करके राष्ट्र ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की.

इस बहादुर रानी ने झांसी की रानी से भी 85 वर्ष पहले ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह किया था. इसलिए ये तो कहा ही जा सकता है कि झांसी की रानी से पहले, इतिहास में तमिल रानी वेलू नचियार का नाम लेना चाहिए.

रानी वेलू नचियार का जन्म 1730 ई. में रामनाद के राजा सेल्लामूतू सेतुपति और रानी साकंदीमुताल के राजमहल में हुआ था. उनका भाई नहीं होने के कारण उनका लालन पोषण एक लड़के की तरह किया गया. इसलिए वह अपने राज्य की राजकुमारी नहीं बल्कि राजकुमार थीं. वे हथियार चलाने, तीरंदाजी एवं सभी मार्शल कलाओं में कुशल थीं.

वेलू नचियार का विवाह शिवागंगायी राजपरिवार के मुतुवादुगनाथपेरिया उदैयातेवर के साथ हुआ. वेलू नचियार के पति ब्रिटिश सेना और अरकोट के नवाब के बेटे की संयुक्त सेना के साथ संघर्ष में मारे गए थे, जिसके बाद रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ दी.

ब्रिटिश शासन पर हमला करने के उद्देश्य से उन्होंने एक सेना का गठन करने के साथ ही गोपाल नायकर और हैदर अली के साथ एक गठबंधन कायम किया. साल 1780 में अपने समर्थकों की सैन्य सहायता से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध किया और विजयी हुईं.

इस प्रकार वह भारत में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में सफलता प्राप्त करने वाली पहली रानी बन गईं. फिर से प्राप्त किए गए शासित प्रदेशों पर उन्होंने एक दशक तक शासन किया.

हम इतिहास में ऐसी महिलाओं को नहीं भूल सकते है जिन्होंने भारत की आवाज को बुलंद किया और भारत की महिलाओं को बोलने की हिम्मत दी.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी