मिलियन डॉलर प्रियंका

प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने की अटकलें लगती रही हैं. 2014 लोक सभा चुनावों में कांग्रेस की भीषण हार ने आग में घी का काम किया. अब सिर्फ मांग ही नहीं की जा रही बल्कि जोरदार आवाज़ उठ रही है – ‘प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ’.

अभी तक प्रियंका ने परिवार की सीटों  – अमेठी और रायबरेली – से ही चुनाव प्रचार किया है. पार्टी कार्यकर्ता अब खुलकर कह रहे हैं कि वह देश की राजनीति करने के लिए भी कमर कसें.

इतना तो तय है कि एक और गांधी भारतीय राजनीति में डंका बजाएगा. यह भी तय है कि वह गांधी प्रियंका ही होंगी.

कहा यह भी गया है कि गांधी परिवार को कुछ वर्षों के लिए राजनीति से दूरी बना लेनी चाहिए. इस समय सोनिया गांधी और राहुल गांधी का कोई जादू जो नहीं चल रहा.

पारिवारिक सूत्र बताते है कि प्रियंका एक बेहद समझदार इंसान हैं. दबाव में घबराती नहीं हैं. परिवार और पार्टी दोनों ही पर मंडराते संकट पर उनकी नज़र है. तो फिर कब तक वो दरवाज़े के पीछे से झांकती रहेंगी. युवा कांग्रेसी उनमें भविष्य देखते हैं.

प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा को हमेशा गलत वजहों से सुर्ख़ियों में लाया जाता है. उन हालातों में भी प्रियंका एक बिग फाइटर के रूप में उभरती हैं. जनता से जुड़ने की उनमें स्वभाविक क्षमता है और संबोधन की जबरदस्त पर्सनालिटी. राजनीति में उनकी रुचि बहुत कम आयु से ही थी.

ऐसे में उनका पर्दे से बाहर आना पार्टी और परिवार में जान फूंक सकता है. करीबी सम्बन्धी कहते हैं कि प्रियंका एक लोकप्रिय व्यक्तित्व हैं. उन्हें अपार जनता को आकर्षित करने में सफलता जरूर मिलेगी. उनके पिता राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी और परदादा जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री रहे हैं. उनके दादा फिरोज़ गांधी भी संसद सदस्य थे.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी