पूरी दुनिया इस समय कोरोना से लड़ रही है. यह कहना ज्यादा सही होगा कि अभी भी हम इस वायरस से लड़ ही रहे हैं. वह भी निहत्था.
कोरोना वायरस हमला किए जा रहा है और हम मास्क लगा कर व खुद को घरों में बंद कर लड़ रहे हैं.
यह कैसी लड़ाई है? और यह लड़ाई कब तक चलेगी?
कोरोना वायरस यानी कोविड-19 महामारी है, यह जानलेवा है. और हम जूझ रहे हैं. हम बेबस हैं. यह भी सत्य है कि हमारा शत्रु अनजान है.
दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी कोरोना के सामने नहीं टिक पा रहे. हाल ही में एक डॉक्टर ने संक्रमित होने के बाद प्राण त्याग दिए. दम तोड़ने से पहले वह दो सप्ताह जूझते रहे. उनकी डॉक्टर पत्नी भी कोरोना से संक्रमित हुईं.
सैकड़ों कोविड वारियर इस जंग में संक्रमित
कोरोना डायरी: पॉडकास्ट
तो क्या हमारी दुनिया विज्ञान और मेडिसिन के क्षेत्र में प्रगति करते-करते इतनी बेखबर रही कि इस अनजान शत्रु ने चीन के रास्ते एक तीसरे विश्व युद्ध का आगाज़ कर दिया?
कोरोना से मुकाबला किसी विश्व युद्ध से कम नहीं है. साथ में यह भी समझने की कोशिश कीजिए कि द्वितीय विश्व युद्ध में यह तो मालूम था कि शत्रु कौन है. लेकिन यहां तो पता ही नहीं है कि कोरोना नाम के शत्रु से कैसे निपटा जाए.
एक सज्जन मृणाल रमण कहते हैं, “मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है और मानव जाति का इससे काफी भला हो रहा है. इसका कोई ठोस विकल्प भी नही है, हां ये अलग बात है कि कोरोना के मरीज के इलाज का बिल लाखों रुपये में आ रहा है. ऐसी स्थिति में देश का आम आदमी मेडिकल साइंस और हॉस्पिटल में आस्था कैसे रखे?”
मृणाल रमण एक और दिलचस्प बात कहते हैं – “भारत वही देश है जहां मदर टेरेसा (Mother Teresa) सिर्फ स्पर्श से यानी छू कर कुष्ठ रोग का इलाज करती थीं. बाद में उन्हें संत (Saint) की उपाधि दी गई. संत की उपाधि पाने के लिए चमत्कार करना पड़ता है, तभी वेटिकन सिटी में इस उपाधि पर मुहर लगाई जाती है. मगर इस बार क्या?”
बहरहाल, जब भारत में सरकार ने कोरोना के मंसूबे को समझा, तब से अब तक तीन महीने से ज्यादा समय हो चुका है. 100 दिन से ज्यादा. मगर कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इसमें कमी के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं.
हालात यह हैं कि कोरोना से संक्रमितों की संख्या एक करोड़ के पार पहुंच गई है. यह सुनने में ही भयावह लगता है.
दुनिया भर में अब तक इससे एक करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं, और करीब पांच लाख लोगों की मौत हो चुकी है.
कोविड-19 के मामले में अमेरिका विश्व भर में पहले, ब्राजील दूसरे, रूस तीसरे और भारत चौथे स्थान पर है. यह किसी ओलंपिक खेल का आंकड़ा बिलकुल नहीं है.
विश्व की महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से अब तक 25 लाख से अधिक लोगों का संक्रमित होना, और इस महाशक्ति के साथ शीत युद्ध का खेल खेलने वाले रूस में लाखों लोगों का शिकार होना, अचंभित करता है. हम तो तीसरी दुनिया के देश ठहरे.
भारत से लोग अमेरिका और लंदन इलाज कराने जाते थे. लेकिन, इस दफ़ा तो अमेरिका और लंदन में ही सभी बेहाल हैं. ब्रिटेन के राजकुमार हों या प्रधानमंत्री सभी कोरोना के चपेट में आए हैं.
एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण एक करोड़ के पार गया है वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन यांनी वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाईजेशन (WHO) ने चेतावनी दी है कि ‘
भारत में संक्रमितों की संख्या पांच लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है. हमारे देश में मृतकों की संख्या 16,000 से अधिक हो गई है. देश में इस समय कोरोना के दो लाख से ज्यादा सक्रिय मामले हैं, और बताया जा रहा है कि अब तक तीन लाख से अधिक लोग इस महामारी से निजात पा चुके हैं.
कोरोना की अब तक कोई दवा या वेक्सीन ईजाद नहीं हो पाई है. जो लोग ठीक हुए हैं, उनके बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता कि वे कैसे ठीक हुए हैं.
माना तो यही जा रहा है कि जिसके अंदर लड़ने का तंत्र मजबूत है वह संक्रमित होने के बावजूद ठीक हो रहे हैं, लेकिन दुनिया भर में पांच लाख लोगों की मौत किसी का भी दिल दहला सकती है.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार देखा जा रहा है कि पूरी दुनिया किसी एक शत्रु से लड़ रही है लेकिन उसे कैसे हराया जाए इसका उपाय नहीं सूझ रहा है.
आश्चर्यजनक तो यह कि कोरोना जिस देश – चीन – से पैदा हुआ, और पूरी दुनिया में विनाश का कारण बना, उसी चीन में कोरोना का कहर थम गया है.
आखिर चीन ने ऐसा क्या किया? चीन में कोरोना ने 85 हजार संक्रमितों का आंकड़ा भी पार नहीं किया है. इस बात के कई अर्थ निकाले जा सकते हैं.
क्या चीन ने कोरोना को काबू किया या फिर चीन ने कोरोना को फैलाकर अपना पल्ला झाड़ लिया है. इस बात का जवाब मनोज कनक नाम के शख्स बखूबी देते हैं – ‘सालों चाय पीने का क्या फायदा, अगर आपको चीनी का अंदाजा ही सही नहीं है.’