मिलियन डॉलर आर्म सिर्फ बेसबॉल की कहानी नहीं है

भारत के नागरिक क्रिकेट को राष्ट्रीय खेल मानते हैं जिसके लिए उनका जुनून दिखता है – इसी भारत में सुपरस्टार स्पोर्ट्स एजेंट जे. बी. बर्नस्टीन आते हैं बेसबॉल (baseball) के लिए दुर्लभ प्रतिभाओं को ढूंढने. उन्हें ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ी की तलाश है जो अपनी लंबी बांह से बेसबाल की दुनिया में तहलका मचा दे.

अपने लीग के लिए बर्नस्टीन भारत तो आ जाते हैं लेकिन उन्हें क्या पता कि यहां बेसबॉल के बारे में किसी को कुछ पता भी नहीं होता. अब कहां से मिलेगी उन्हें वह प्रतिभा? भारत में तो कोई भी इस खेल से परिचित नहीं है. लेकिन, उन्होंने बेसबॉल के कई कोच से सुन रखा है कि भारत में मशहूर क्रिकेट खिलाड़ियों से ज्यादा तेजी से गेंद फेंकने वाले युवा खिलाड़ी मौजूद हैं जो बेसबॉल के लिए काफी उपयुक्त साबित हो सकते हैं.

अमेरकी सपने को पूरा करने की सच्ची कहानी है मिलियन डॉलर आर्म, यह दो भारतीयों की कहानी है जिन्हें अमेरिकी बेसबॉल टीम का हिस्सा बनने का मौका मिलता है.

फिल्म में एक ऐसा समय आता है जब स्पष्ट रूप से बर्नस्टीन अपने करियर का सबसे बड़ा दबाव महसूस करते हैं. उन्होंने अपनी एजेंसी शुरू तो कर दी है जिसे ‘मिलियन डॉलर आर्म’ रियलिटी टीवी प्रतियोगिता आयोजित करनी है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा उठता है कि क्या वह अपनी योजनाओं और ख्वाबों को असली जामा पहना पाएंगे.

Million Dollar Arm

इन्हीं परिस्थियों में बर्नस्टीन एक आखिरी प्रयास करते हैं जब वह ग्रामीण भारत में अपनी प्रतिभा खोज शुरू करते हैं. 2014 में प्रदर्शित इस फिल्म की कहानी मे तीन मोड़ आते हैं जो आपको ज़िन्दगी से जूझने की प्रेरणा देते हैं और आपको विश्वास से भर देते हैं जब आप कह सकते हैं कि, ‘हां मैं यह कर सकता हूं’.

स्पोर्ट्स-मूवी शैली के लिए बने बेहतरीन अपलिफ्टिंग क्लाइमेक्स के साथ यह फिल्म आपको अपने बच्चों के साथ देखनी ही चाहिए.

आश्चर्य की बात यह है कि इस फिल्म में दिखाई गई कहानी ज्यादातर सच है. सचमुच, मिलियन डॉलर आर्म फिल्म पेशेवर खेल के इतिहास में बनने वाली सबसे अनोखी कहानी का नाटकीयकरण है, जिसे आप मिस नहीं कर सकते. फिल्म में संगीत दिया है ए. आर. रहमान ने जबकि कलाकार हैं जॉन हैम, बिल पैक्सटन, सूरज शर्मा, मधुर मित्तल.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी