भारत बोलेगा पर सुनें ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’ पॉडकास्ट सीरीज

आज फिर जीने की तमन्ना है (Aaj Phir Jeene Ki Tamanna Hai) – ये कोई साधारण शब्द नहीं हैं. ना ही ये सिर्फ एक प्रसिद्ध गीत के बोल हैं.  

इन शब्दों को लिखा महान गीतकार शैलेन्द्र (Shailendra) ने ‘गाइड’ फ़िल्म (film Guide) के लिए, जिसमें देव आनंद (Dev Anand) भी मुख्य भूमिका में थे. संगीत दिया एस.डी.बर्मन (S. D. Burman) ने और इन्हें आवाज़ दी स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने.

‘आज फिर जीने की तमन्ना है’ एस. डी. बर्मन की ऐसी कृति है जो मुखड़े (आज फ़िर जीने की तमन्ना है) से नहीं बल्कि अंतरे (कांटों से खींच के ये आंचल…) से शुरू होती है. 

कहना ना होगा कि 1965 में प्रदर्शित ‘गाइड’ फ़िल्म इतिहास की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है.

आज फिर जीने की तमन्ना है, से सम्बंधित कई किस्से आपको सुनने को मिलेंगे. वाकई, ये कोई साधारण शब्द तो हैं नहीं.

इन शब्दों में आशा है, विश्वास है, सकारात्मकता है. इसलिए यह एक जिंदा गीत है. मनोचिकित्सक भी इन शब्दों को बार-बार सुनते हैं ताकि वे उन्हीं विश्वास के साथ इलाज कर सकें.

फ़िल्म गाइड में जब आप वहीदा रहमान पर फिल्माए इस गाने को देखेंगे तो आपको भी भारत बोलेगा की बातों पर यकीन हो जाएगा.

इसी यकीन के बल पर भारत बोलेगा पर एक पॉडकास्ट सीरीज शुरू की जा रही है, जिसका नाम है – आज फिर जीने की तमन्ना है.

स्वयं गीतकार शैलेन्द्र के बेटे बबलू दिनेश शैलेन्द्र (Bablou Dinesh Shailendra) इसे होस्ट कर रहे हैं. सीरीज में फ़िल्म जगत से जुड़ी तमाम अनकही कहानियों को वे बताएंगे अपने अनोखे अंदाज़ में, जैसे कोई ‘कांटों से खींच के ये आंचल’.

तो सुनते रहिए भारत बोलेगा, और सुनाते रहिए ‘आज फिर जीने की तमन्ना है‘ पॉडकास्ट (podcast), बबलू शैलेन्द्र के साथ.  

कोई न रोको दिल की उड़ान को, दिल वो चला हा हा हा हा. आज फ़िर जीने की तमन्ना है… अपने ही बस में नहीं मैं, दिल है कहीं तो हूं कहीं मैं.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी