मानव: आपके साक्षात्कार में 80 रूपये खर्च हो गए. आप इतने महंगे कैसे हो गए?
प्याज: डिमांड एंड सप्लाई. लोगों से कहा गया है कि भर पेट खाओ होश में रहो. होश में रहने का तात्पर्य है कि हमारी सत्ता कुछ भी करे लोग चुप रहें.
मानव: आप तो बुद्धिजीवियों की तरह बोलने लगे हैं.
प्याज: वर्षों से मेरा क्रय-विक्रय हो रहा है, कभी कोई दिक्कत हुई ! लेकिन आप लोग बीच-बीच में आजाद मानव बनने लगते हैं तो ये संवेदनहीन सत्ताधारी मुझे बोरों में बांधकर सड़ा देते हैं गला देते हैं लेकिन आप तक नहीं पहुंचने देते.
मानव: ये ऐसा क्यों करते हैं?
प्याज: क्योंकि वो जानते हैं कि आप लोगों के जीवन में मेरा महत्व क्या है. आपको प्याज न मिले तो बार-बार आप प्याज प्याज करने लगते हैं. और सारी बातें भूल जाते हैं.
मानव: वो ऐसा क्यों करते हैं?
प्याज: वो ऐसा इसलिए करते हैं जब उन्हें सत्ता से दिक्कत होती है और मैं जब चाहूं किसी की भी सरकार गिरा सकता हूँ. आपको याद होगा जब देशभक्त अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तब भी इसी प्रकार की स्थिति पैदा हुई थी और में उनकी निष्ठा पर भारी पड़ा था. वही स्थिति आज भी होने वाली है. मैं उद्योगपतियों का पैदल बनकर रह गया हूँ ! जैसे देश का प्रत्येक मानव ! वो जब चाहें, जिसे चाहें परेशान ही नहीं उसका अस्तित्व मिटा सकते हैं.
मानव: लेकिन प्याज जी, आप तो ऐसी बात बता रहे हैं जिसे जानकर जनता प्रत्येक दल का अस्तित्व मिटाकर खुद नेतृत्व करने लगेगी. आपकी बात में कितनी सच्चाई है?
प्याज: मैं शत् प्रतिशत सच बोल रहा हूँ मानव भाई ! मैं प्याज हूँ सो ऐसा बोल सकता हूँ. तुम मानव हो इसलिए बोल भी नहीं सकते. यदि तुमने और बोला तो वो तुम्हें भगत सिंह जैसी मौत देंगे और तुम इतिहास के पन्नों पर अंकित भी नहीं हो पाओगे. तुम लोकतंत्र की बात करते हो और लोकतंत्र भी सिर्फ उनका एक प्यादा भर है. जैसे मैं हूँ. वो जो चाहते हैं वही होता आया है इस देश में, और भविष्य में भी वही होगा जो वो चाहेंगे ! क्योंकि उनका ईश्वर रुपया है.
मानव: आप ऐसी बात कैसे कह सकते हैं ! उद्योगपतियों की वजह से ही तो देश आर्थिक तरक्की के पथ पर अग्रसर हुआ है. वो आपका इस्तेमाल करते हैं इसलिए आप उनके बारे में ऐसा बोल रहे हैं. नहीं तो टमाटर या आपके परिवार के किसी अन्य सदस्य ने तो कुछ भी नहीं बोला?
प्याज: तुम बड़े भोले हो मानव ! मेरा प्रयोग बार-बार किया जाता है उद्योगपतियों द्वारा. इसलिए मेरे परिवार में मेरा भी विरोध शुरू हो गया है. टमाटर, आलू, धनिया और हरी मिर्च ने भी आजकल उद्योगपतियों से सीधा संवाद स्थापित करना आरम्भ कर दिया है. मैं थोड़ा नामचीन हो गया हूँ इसलिए उनमें जलन पैदा हो गयी है.
मानव: आप अपने परिवार के सदस्यों जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्चा, लहसुन इत्यादि को समझाते नहीं हैं?
प्याज: आज के समय में कोई किसी को कैसे समझाए. सबसे कठिन कार्य है पूर्वाग्रह के शिकारों का मार्गदर्शन. उन्हें ऐसा लगता है कि मैं भविष्य में सब्जी संघ का अध्यक्ष बन जाऊंगा. वो सब मूर्ख हैं क्योंकि वो धरती के ऊपर रहते हैं जबकि मैं तब तक धरती के नीचे रहता हूँ जब तक कोई खोद कर न निकाले !
– अभिषेक मानव