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अंतिम यात्रा, कब कहां और कैसे

after death arrangement
after death arrangement

आने वाले समय की ज़बरदस्त दस्तक है फ्यूनरल सर्विसेज (funeral services). ये एक ऐसी सर्विस है जो आपके बुरे वक़्त में आपकी मदद करती है. जब किसी अपने की मौत (death) होती है तब कुछ भी समझ नहीं आता.

रिश्तेदार और करीबी दोस्त ही मिलकर सारा कुछ निपटाते हैं. सब से तकलीफदेह होता है क्रिया कर्म के बाद पैसे का हिसाब करना. स्थिति के अनुसार अंतिम स्थल और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं. ऐसे समय में एक फ्यूनरल सर्विस सब कुछ जिम्मेदारी के साथ काम करे तो क्या बात.

हाल ही में हमारे घर में दो करीबी स्वर्गवासी हो गए. जब पहला झटका लगा तो बेहद परेशानी हुई. गाड़ी की बुकिंग कराने से लेकर अंतिम स्थल तक धक्के खाने पड़े. पहली बार पता चला कि जिस गाड़ी में मृत को अंतिम स्थल तक ले जाया जाता है उसे शव वाहन कहते हैं.

शांति पाठ के लिए हॉल में किसे बुलाना है. वहां स्टेज पर बैठने वाले लोगों के लिए टेबल या कारपेट बिछाने के लिए चादर का इंतज़ाम, लोगों को बांटने के किए प्रसाद और पानी, स्टेज सजाने के लिए फूल और मोमबत्तियां – हर चीज़ का इंतज़ाम करना पड़ता है. यू तो ये मुश्किल नहीं, मगर जब मन दुखी हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता.

वहीं जब एक और सदमा पहुंचा तो मुझे पता चला कि फ्यूनरल सर्विस भी कुछ होती है. परिवार के लोग हालांकि शुरू में सहमत नहीं थे मगर मैंने जिद की और एक नंबर डायल कर दिया. घरवाले कह रहे थे, ये एक बिज़नेस है. हमारे दर्द को सर्विस वाले क्या पहचानेंगे.  

तब तक घंटी बज चुकी थी और फोन के दूसरी तरफ एक फ्यूनरल कोऑर्डिनेटर था. फिर तो हमने सब कुछ उसे ही सौंप दिया. इतनी कुशलता से, और सभी की तसल्ली की साथ सारा कुछ बड़ी सुविधा से हो गया. यहां तक कि शांति पाठ में आए शुभचिंतकों की गाड़ी पार्क करने की जिम्मेदारी फ्यूनरल सर्विस वालों ने ले ली थी.

जब हम हॉल में शांति पाठ के लिए पहुंचे तो वहां सजी हुई तस्वीर देख कर आंखों में आंसू ज़रूर थे मगर दिल में एक इत्मीनान था. इतनी सहजता के साथ हम सारा इंतज़ाम नहीं कर पाते. शांति पाठ स्थल पर हर तरफ फूल अपनी भीनी-भीनी खुशबू बिखेर रहे थे. मोमबत्तियों से घिरी हुई स्वर्गवासी परिवार सदस्य की तस्वीर सभी को आकर्षित कर रही थी.

शांति पाठ शुरू हुआ तो मैं सब से ऊपर वाली सीट के पीछे जा कर खड़ी हो गई. वहां से पूरे हॉल में मैंने अपनी नज़रें दौड़ाई. स्टेज के बीच में सजी हुई मेरी नानी की तस्वीर जैसे मुझसे बात कर कह रही थी, वेल डन बेटा. खुश रहो.


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