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सुंदर दिखना क्या आपका भी ख्वाब है?

looking attractive with smooth skin and hair

सेल्फी और सोशल मीडिया का ज़माना लोगों पर हर वक्त सुंदर (beautiful), आकर्षक (attractive) और दिलकश (likeable) दिखने का एक दबाव पैदा किए हुए है. खास कर महिलाओं को तो शुरू से ही बताया जाता रहा है कि वे अपने रंग को कैसे सुधारें, चेहरे की मुख्याकृति को कैसे नक़्काशें, सिर के बाल को कैसे बढ़ाएं और त्वचा से रोएं कैसे हटाएं. कभी कद ज्यादा होने पर तो कभी स्तन छोटे होने पर समय-समय पर ताने उनके आत्म-सम्मान को ठेस भी पहुंचाते रहे हैं.

आज का समाज विज्ञापनों का समाज भी है. यहां हर ब्यूटी प्रोडक्ट (beauty product) का विज्ञापन (advertisement) इस बात पर केंद्रित होता है कि उनका प्रोडक्ट किस तरह आपके अंदर आत्मविश्वास भर, आपकी दुनिया बदल देगा. फिर चाहे वो वर्षों से चला आ रहा फेयर ऐंड लवली (Fair & Lovely) हो, या फिर पतंजलि जैसे स्वयं-प्रशंसित स्वदेसी ब्रांड, टीवी एवं फिल्म में हीरोइन का प्रदर्शन या बार्बी डॉल जैसे खिलौने – सभी लोगों के मन में कम उम्र से ही एक निश्चित ढंग से खूबसूरत दिखने की आकांक्षा पैदा करते हैं.

ऐसे में लोगों के मन एवं बाज़ार में सौंदर्य उत्पादों की ज़रूरत पैदा हो जाती है, और लोग भारी मात्रा में रासायनिक कॉस्मेटिक्स (chemicals-laced) एवं मेक-अप (make-up) पर आश्रित होने लगते हैं. जब यह निर्भरता इस कद्र बढ़ने लगती है कि किसी ख़ास प्रोडक्ट या मेक-अप के बिना आप आश्वस्त नहीं महसूस करते, या घर से बाहर नहीं निकलना चाहते, तो आप ‘टू मच मेक-अप’ के स्तर पर पहुंच सकते हैं, जो एक मनोवैज्ञानिक वाक्यांश है.  

कुछ साल पहले आए एक अध्ययन के दौरान मनोवैज्ञानिकों ने पाया कि ज्यादा मेक-अप करने पर महिलाएं खुद को ज्यादा आकर्षक महसूस करती हैं, हालांकि दूसरे लोग, फिर चाहे वे महिला हों या पुरुष, उन्हें कम मेक-अप या बिना मेक-अप के ही आकर्षक पाते हैं.

मेक-अप हमारे सामने एक क्रांतिकारी उपकरण के रूप में है, जिसका प्रयोग अपने परिदृश्य को बदलने, बढ़ाने या छुपाने के लिए किया जाता है. लेकिन सवाल यह है, कि क्या मेक-अप वाकई इतना ज़रूरी है कि उसके बिना आप खुद को अधूरा पाएं. चाहे वे नवयुवतियां ही क्यों ना हों, काजल, लिप ग्लॉस, हेयर पफ या फ्लिक्स के बिना स्कूल जाने में आश्वस्त नहीं महसूस करतीं.

कई किशोर यह भी समझते हैं कि यदि वे नवीनतम मेक-अप ट्रेंड से कदम नहीं मिला पाए, तो दोस्तों एवं समाज द्वारा स्वीकार नहीं किए जाएंगे. कई महिलाएं बिना आइलाइनर और लिपस्टिक (lipstick) के घर से निकलना पसंद नहीं करती. किसी पार्टी में जाना हो तो पार्लर का खर्चा हज़ार रूपये तक उठाना ज्यादा नहीं लगता. मगर ये सब क्यों? सिर्फ आकर्षक दिखने के लिए?

यदि मेक-अप करना पसंद हो तो उसे अपने शौक से अपने लिए करें, ना कि ये सोच कर कि दूसरों को आप कितने आकर्षक या अच्छे लगेंगे. एक पल के लिए विश्लेषण करें कि क्या रासायनिक कॉस्मेटिक्स और मेक-अप उत्पादों पर आपकी निर्भरता कुछ ज्यादा ही तो नहीं बढती जा रही है. खुद से पूछें कि क्या आपकी त्वचा और मन मेक-अप के बिना अरामदायक महसूस करते हैं.

आप चाहें तो रासायनिक उत्पादों के ऑर्गेनिक विकल्प आजमा सकते हैं, जिससे निश्चित ही आप तो फर्क महसूस करेंगे ही, साथ ही यह उन जानवरों के लिए भी अच्छा होगा जिनका प्रयोग मेक-अप उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है.

शैंपू और कंडीशनर के बजाए आंवला, रीठा और शिकाकाई के पाउडर का मिश्रण इस्तेमाल कर सकते हैं. चेहरा धूलरहित रखने के लिए मुल्तानी मिट्टी, नींबू, खीरे, एलोवेरा जैसे प्राकृतिक विकल्प आजमाए जा सकते हैं.

ड्रगलेस हेल्थ केयर सेंटर की डा. नम्रता कहती हैं, भाप लेना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिससे कि न ही आपकी त्वचा के छेद खुलेंगे और टॉक्सिंस दूर होंगे, बल्कि आपकी श्वास नालियां भी साफ रहेंगी एवं आपको विश्राम भी मिलेगा.


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