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यूएन: युवजन के साथ, पीढ़ीगत खाई को पाटे जाने की आवश्यकता

UN calls for including youth in debates on important issues

यूएन (United Nations) महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आह्वान किया है युवजन (youth) के साथ, पीढ़ीगत खाई को पाटे जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आज के निर्णयों से युवाओं का कल निर्धारित होगा.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि युवजन को पहले से कहीं ज़्यादा समर्थन की आवश्यकता है. “उन्हें बातचीत व निर्णयों की मेज़ पर बैठने के लिए एक स्थान चाहिए.”

डिजिटल विभाजन से ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने स्पष्ट किया कि दुनियाभर में डिजिटल विभाजन को पाटा जाना होगा. गौरतलब है कि विश्व की आधी आबादी के पास अभी भी इंटरनेट नहीं पहुंचा है. वहीं डेटा के ग़लत इस्तेमाल से डिजिटल जुड़ाव में जोखिमों की भरमार है. अतः टेक्नोलॉजी से जुड़े मुद्दों पर गंभीर चर्चा किए जाने की भी आवश्यकता है.

लैंगिक विभाजन की चुनौती

यूएन प्रमुख ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी ने पुरुषों व महिलाओं के बीच शक्ति के असंतुलन को उजागर और ज़्यादा पैना किया है. महासचिव गुटेरेश के अनुसार, लैंगिक खाई को पाटा जाना, ना केवल महिलाओं व लड़कियों के लिए न्याय का विषय है, बल्कि यह मानवता के लिए हालात बदलने वाला मुद्दा भी है.

शांति प्राप्ति पर ज़ोर

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान, इथियोपिया, म्यांमार, सीरिया और अफ़्रीका के सहेल क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों के लिए शांति व स्थिरता, एक सपना भर है. अन्तरराष्ट्रीय एकता का अभाव एक बड़ी चुनौती है और वह भी तब जब विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में टकराव दिख रहा है.

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया कि मानवता, ग़लत दिशा में आगे बढ़ते हुए रसातल के मुहाने पर पहुंच चुकी है. उन्होंने यूएन महासभा के 76वें सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए दुनिया को नींद से जागना होगा.

यूएन प्रमुख ने कोविड-19 महामारी, जलवायु आपात स्थिति और अफ़ग़ानिस्तान, इथियोपिया व यमन जैसे देशों में हालात को हमारे जीवनकाल में संकटों की एक बड़ी श्रृंखला क़रार दिया.

उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस वैक्सीन का रिकॉर्ड समय में विकसित किया जाना, विज्ञान और मानवीय पटुता की विजय है. मगर राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव, स्वार्थ व भरोसे की कमी को देखना त्रासदीपूर्ण है, जिसने इस विजय पर पानी फेर दिया है.

उन्होंने क्षोभ जताया कि अधिकांश धनी देशों में बड़ी आबादी का टीकाकरण पूरा हो जाना, जबकि 90 फ़ीसदी से अधिक अफ़्रीकियों का पहली ख़ुराक के लिए भी इंतज़ार करना, दुनिया के लिए एक नैतिक कलंक है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि महामारी और जलवायु संकट से उजागर होती कमियों के बीच, देशों ने एकजुटता का रास्ता छोड़ दिया है और एक ऐसे रास्ते पर आगे बढ़ा जा रहा है जो कि विनाश की ओर जाता है.

यूएन प्रमुख के मुताबिक़ लोगों का ना सिर्फ़ अपनी सरकारों में भरोसा खो जाने का जोखिम है, बल्कि यूएन के मूल्यों – शांति, मानवाधिकार, सभी के लिए गरिमा, समानता, न्याय व एकजुटता – में विश्वास भी दरक रहा है.


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