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तालिबान की नाक काटी

बीबी आयशा अब खुश दिख रही हैं. झूल रही हैं. झूम रही हैं, खुश हैं. आईने में रोज़ रोज़ उनकी तस्वीर बदल रही है, और उन्हें अच्छा लग रहा है.

चार साल पहले अफगानिस्तान में उनके तालिबानी पति ने उनकी नाक और कान काट डाले थे.

आयशा मोहम्मदज़ई की नाक कटी तस्वीर जब टाईम मैगज़ीन के कवर पेज पर छपी थी तो हर किसी का दिल दहल उठा था. मालूम चला कि पहले तो उन्हें स्कूल जाने की उम्र में ही ब्याह दिया गया था और शादी भी घर के आपसी झगड़े को निपटाने के लिए की गई थी.

फिर पति के घर में इतनी मार-कुटाई हुई कि तंग आकर आयशा ने वहां से भागना चाहा. तब उन्हें क़ानून झेलना पड़ा और सज़ा के तौर पर पांच महीने जेल में बिताने पड़े.

इन सब के बाद आयशा को उसी ज़ालिम पति के हवाले कर दिया गया जिसने उनसे तालिबानी खामियाज़ा वसूलते हुए नाक और कान काट डाले और मरा हुआ समझ किसी पहाड़ पर छोड़ दिया.

‘जाको राखे साईयां मार सके न कोए’. आयशा जिंदा बच गईं.

अफगानिस्तान में युद्ध कर रहे अमेरिकी सैनिकों और राहत शिविरों के डाक्टरों की मदद से वह कुछ और सांसें लेकर इलाज के लिए अमेरिका पहुंच गईं.

आयशा ने लंबे उपचार के बाद अब सामान्य जीवन शुरू कर दिया है. वह पढ़ भी रही हैं और पुलिस आफिसर बनना चाहती हैं.

खुशी की बात है कि तमाम परेशानियों एवं दर्द भरे इलाज के बाद अब आयशा भी हम जैसी ही सामान्य दिखने को तैयार है.

भूलना न होगा कि आयशा को अमेरिका में जीवन की टहनियों और पत्तों को ढूंढ कर अपना नया आशियाना तलाशना है.

अफगानिस्तान में इस बहादुर लड़की के लिए आज भी जगह नहीं है.


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