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दो अंकों की चिंता

पुलवामा में आतंकी हमले में देश के 40 जवान शहीद हो गए और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को पाकिस्तान के साथ विश्व कप में नहीं खेलने पर दो अंक गंवाने की चिंता है.

समूचा देश एक स्वर में मांग कर रहा है कि विश्व कप में पाकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलना है. लेकिन, पहले क्रिकेट लीजेंड सुनील गावस्कर और फिर सचिन का यह कहना कि उन्हें 16 जून के मैच का बॉयकाट कर दो अंक गंवाना गंवारा नहीं है.

साथ ही सचिन यह भी कह रहे हैं कि वे दिल से सरकार के फैसले के साथ रहेंगे.

बीसीसीआई ने भी फैसला सरकार पर छोड़ दिया है जबकि कप्तान विराट कोहली सरकार के फैसले के साथ रहने की बात करते हैं.

लेकिन सबसे बड़े अफ़सोस की बात यह है कि इन दिग्गजों में से किसी ने भी यह नहीं कहा कि फैसला चाहे जो हो हम पाकिस्तान के साथ विश्व कप मैच नहीं खेलेंगे.

अपने हेलमेट पर हमेशा तिरंगा लगाकर खेलने वाले सचिन आखिर इस मुद्दे पर इतने डिप्लोमेटिक कैसे हो गए कि उन्होंने दो तरफ़ा जवाब दिया?

उन्हें याद रहना चाहिए कि मैच में टॉस के समय हेड या टेल ही मांगा जाता है, दोनों नहीं. फिर वह इस मुद्दे पर हेड और टेल दोनों की बात एकसाथ कैसे कर रहे हैं.

1980 में मास्को ओलंपिक में अमेरिका और उसके साथी पश्चिमी देशों ने मास्को ओलंपिक का बहिष्कार किया था, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल था.

सोवियत संघ और उसके समर्थित देशों ने 1984 में लॉस एंजेलिस ओलंपिक का बहिष्कार किया था. बहिष्कार करते समय इन देशों ने इस बात की परवाह नहीं की थी कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति इसके लिए उन पर क्या प्रतिबंध लगाएगी.

भारत में तो पहली चिंता दो अंकों की है और दूसरी चिंता इस बात की है कि आईसीसी भारत पर क्या प्रतिबंध लगाएगी.

सचिन और गावस्कर अगर शहीदों की चिंता करते तो दो अंक वाला सवाल आता ही नहीं. भारत रत्न से उम्मीद की जाती है कि वह डिप्लोमेटिक होने के बजाये देश को पहली प्राथमिकता देंगे.


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