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भारत की हार के छह बड़े कारण

आईसीसी विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड के हाथों मिली 18 रन की हार करोड़ों भारतीयों के लिए दिल तोड़ने वाली रही जो उम्मीद कर रहे थे कि विराट कोहली की टीम भारत को तीसरी बार विश्व चैंपियन बनाएगी.

क्रिकेट में आम तौर पर यह होता है कि जब टीम जीत रही होती है तो कोई भी टीम की कमियों को नहीं ढूंढ पाता लेकिन हारते ही कमियों का पिटारा निकल आता है. ऐसा ही कुछ टीम इंडिया के साथ हो रहा है.

भारत लगातार दूसरे विश्वकप में सेमीफाइनल में बाहर हुआ; न्यूजीलैंड ने इस जीत के साथ लगातार दूसरे विश्वकप के फाइनल में जगह बना ली.

सेमीफाइनल में हारने और विश्व कप से बाहर होने के बाद हार के कारण ढूंढे जाने लगे हैं. भारत बोलेगा में हम चर्चा करते हैं इन कमियों की और कोशिश करते हैं टीम की हार के कारणों को जानने की.

शीर्ष क्रम पर अत्यधिक निर्भरता

भारतीय बल्लेबाजी अपने शीर्ष क्रम पर निर्भर रही. भारतीय टीम की तरफ से विश्व कप में जो सात शतक बने उनमें पांच शतक ओपनर रोहित शर्मा ने, एक शतक ओपनर शिखर धवन ने और एक शतक ओपनर लोकेश राहुल ने बनाया. कप्तान विराट कोहली ने पांच अर्धशतक बनाए. यही कारण रहा कि जब सेमीफाइनल में रोहित, राहुल और विराट एक-एक रन बनाकर आउट हुए तो भारतीय पारी दबाव में आ गई और मध्य क्रम उसे संभाल नहीं पाया. हालांकि महेंद्र सिंह धोनी ने 50 रन और रवींद्र जडेजा ने 77 रन बनाए लेकिन अंत में टीम को बाहर हो जाना पड़ा.

टीम चयन में खामियां

विश्व कप में टीम इंडिया का सफर समाप्त होने के बाद यह बात साफ़ तौर पर सामने आ रही है कि टीम चयन में खामियां थीं. चयनकर्ता प्रमुख एमएसके प्रसाद का विजय शंकर को चुनना और उन्हें त्रिआयामी खिलाड़ी बताना सिरे से गलत फैसला था. ओपनर शिखर धवन के बाहर हो जाने के बाद ओपनर को न चुनना और विजय शंकर के बाहर हो जाने के बाद ओपनर को चुनना सही फैसले नहीं थे. शिखर की जगह ऋषभ पंत को और विजय की जगह मयंक अग्रवाल को चुना गया जो कारगर साबित नहीं हुए. यदि मध्य क्रम में अंबाटी रायुडू को चुना जाता तो वह सेमीफाइनल के लिए उपयोगी हो सकते थे. रायुडू को तो मध्य क्रम में विश्व कप टीम में पहले ही जगह मिलनी चाहिए थी.

सेमीफाइनल में धोनी को बाद में उतारना

क्रीज पर एक साथ आक्रामक स्वाभाव वाले दो बल्लेबाजों को रखना गलत फैसला था. टीम प्रबंधन  ने ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या को एक साथ उतारकर गलत रणनीतिक फैसला किया. यदि इन दोनों बल्लेबाजों के साथ दूसरे छोर पर धोनी मौजूद रहते तो इन दोनों बल्लेबाजों पर अंकुश रहता और ये खराब शॉट खेलकर अपने विकेट नहीं गंवाते. पंत और पांड्या की साझेदारी अच्छी चल रही थी और दोनों ने अपने विकेट अनावश्यक शॉट खेलकर गंवाए जबकि काफी ओवर बाकी थे.

शमी का सेमीफाइनल में नहीं खेलना

न्यूज़ीलैंड के तेज गेंदबाजों के प्रदर्शन को देखकर साफ़ हो गया कि भारत ने सेमीफाइनल में तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को नहीं खिलाकर एक बड़ी भूल की. शमी इस मुकाबले में खेले होते तो न्यूज़ीलैंड 150 तक का स्कोर नहीं बना पाता. शमी को बाहर रखने पर टॉस के समय ही सवाल उठाए गए थे और मैच के बाद सब सवाल सही साबित हो गए.

टॉप थ्री का 1-1 रन पर आउट होना

किसी टीम के शीर्ष तीन बल्लेबाज यदि 1-1 रन बनाकर आउट हो जाएं तो उस टीम से जीत की उम्मीद नहीं की जा सकती. रोहित, विराट और राहुल मात्र 1-1 रन बनाकर आउट हुए और इससे साबित हुआ कि जब सामने स्तरीय तेज गेंदबाजी हो तो भारत का शीर्ष क्रम लड़खड़ा जाता है. ऐसे में भारत को चेतेश्वर पुजारा जैसे ठोस बल्लेबाज की जरूरत थी जो उसके पास नहीं था.

चौथे नंबर की समस्या

वर्ल्ड कप से पहले बार-बार चौथे नंबर की समस्या का जिक्र होता रहा था और टीम के बाहर होने के बाद तक यह समस्या नहीं सुलझी. भारत ने इस क्रम पर पिछले कई महीनों में लगातार प्रयोग किए लेकिन किसी खिलाड़ी को स्थायित्व देने का काम नहीं किया जिसका उसे अंत में नुकसान उठाना पड़ा. टीम प्रबंधन ने इस क्रम पर किसी एक खिलाड़ी पर भरोसा जताकर उसे लगातार मौके दिए होते तो भारत को आज विश्व कप से बाहर नहीं होना पड़ता.


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