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वैज्ञानिक सोच को कैसे बढ़ावा दें?

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नवाचार और प्रगति के लिए वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना आवश्यवक है. वैज्ञानिक सोच चिंतन और उसके क्रियान्वयन का एक तरीका है. इसके लिए भौतिक वास्तविकताओं का आकलन, पूछताछ, परीक्षण, परिकल्पना और विश्लेषण जैसी विशेष पद्धतियों का सहारा लिया जा सकता है.

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने अपनी किताब ‘भारत की खोज’ में लिखा है – आज जरूरत वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की है. विज्ञान के साहसिक और आलोचनात्मक सोच, सत्यक और नए ज्ञान की खोज, बिना परीक्षण और प्रयोग के किसी भी चीज को स्वीकारने से इनकार, नए साक्ष्यों की रौशनी में पूर्व निष्कर्षों को परिवर्तित करने की क्षमता, आकलित तथ्यों पर निर्भरता और पूर्व नियोजित सिद्धांतों से दूर रहना, मन का कठोर अनुशासन, यह सभी न केवल वैज्ञानिक अनुप्रयोग के लिए आवश्यक है बल्कि कई समस्याओं के हल के लिए और स्व‍यं जीवन के लिए भी आवश्यक है.

वैज्ञानिक चिंतन के विचार की उत्पत्ति और विकास चार्ल्स डार्विन के विचारों से संबंधित है. उन्होंने कहा – विचारों की स्वतंत्रता को बेहतर ढंग से तब मजबूती मिलेगी जब उसमें विज्ञान की समझ होगी. वैज्ञानिक सोच एक रवैये को व्य्क्त करता है जिसमें तर्क का अनुप्रयोग भी शामिल है. चर्चा, तर्क और विश्लेषण वैज्ञानिक सोच का महत्वपूर्ण हिस्सा है. निष्पक्षता, समानता और लोकतंत्र के अवयव भी इसमें निर्मित होते हैं. भारत ने 2010-20 के दशक को ‘नवाचार का दशक’ घोषित किया है.


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