Site icon भारत बोलेगा

शराफत का पता क्या है?

हम सुरक्षित कहां हैं? न सड़कों पर, न लड़कों से. न घर की चार दीवारी में, न दुनिया की जिम्मेदारी में. न खेतों में, न खलिहान में. दुनिया में अब बचा क्या है? शराफत का अब पता क्या है? किस पर विश्वास करें?

Women Safety

Women Safetyपरिदृश्य बदल रहा है. महिलाओं की भागीदारी सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है. अपने क्षेत्र में खास उपलब्धियां हासिल करने वाली कुछ महिलाओं का उदाहरण देकर हम महिलाओं की उन्नति को दर्शाते हैं.

हमारे देश में सशक्त महिलाओं की कमी नहीं है, परंतु महिलाओं की स्थिति में कितना परिवर्तन आया है? और आम महिलाओं का परिवर्तन किस तरह से हो रहा है? असल परिवर्तन तो आना चाहिए आम लोगों के जीवन में. जरुरत है उनकी सोच में परिवर्तन लाने की, उन्हें बदलने की.

हम सुरक्षित कहां हैं? न सड़कों पर, न लड़कों से. न घर की चार दीवारी में, न दुनिया की जिम्मेदारी में. न खेतों में, न खलिहान में. दुनिया में अब बचा क्या है? शराफत का अब पता क्या है? किस पर विश्वास करें? और किस पर नही? यहां दुश्मन तो दुश्मन हैं, पर अपने भी कम नहीं. सब्र का बांध कब तक टिकेगा? एक न एक दिन तो यह भी फूटेगा.

महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं. शहर असुरक्षित होते जा रहे हैं. हमें बचपन से सिखाया जाता है कि खाना बनाना ज़रुरी है, इस तरह का आचरण करना चाहिए, बच कर चलना चाहिए. मां बाप को चाहिए कि बेटियों को गति दें, दिशा दें, आत्माभिमान दें, आत्मविश्वास दें.

अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिए महिलाओं को अधिकार देना ही महिला सशक्तिकरण है. – प्रियंका भाटिया


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
Exit mobile version