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बच्चों का संगीत सुनना कितना लाभदायक

जबसे बाल मनोविज्ञान एक अलग विषय के रूप में स्थापित हुआ है, यह पाया गया है कि बच्चों (children) के मन-मस्तिष्क पर संगीत (music) का गहरा प्रभाव पड़ता है. संगीत सुनने से बच्चों के मस्तिष्क में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं.

संगीत के प्रभाव से मस्तिष्क में ऐसे हारमोन उत्पन्न होते हैं जो बच्चों में सकारात्मक गुण विकसित करते हैं. इसके फलस्वरूप बच्चे में धैर्य, सहकारिता, दया और करुणा जैसे गुण पनपते हैं. उनमें दूसरों की भावनाओं को समझने की क्षमता विकसित होती है.

प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायिका डा. रीता देव कहती हैं कि संगीत बच्चों में धैर्य की भावना उत्पन्न करता है, जिसका उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है.

छोटे बच्चों के माता-पिता उनके मानसिक और शारीरिक विकास को सही दिशा देने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं. इसके लिए वे हर वे उपाय अपनाते हैं जिन्हें बच्चों के विकास में सहायक माना जाता है. दिमाग को चुस्त रखने के लिए, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए संगीत महत्वपूर्ण है.

डा. रीता देव संगीत में डॉक्टरेट हैं और बनारस घराने की संगीत परम्परा का सालों से निर्वाह कर रही हैं. वे संगीत और ध्यान (meditation) के सम्बन्ध पर भी विचार व्यक्त करती हैं. वे कहती हैं कि संगीत ध्यान केन्द्रित करने में सहायक है.

भारत में प्राचीनकाल से ही ध्यान के समय ॐ का उच्चारण एक विशिष्ट स्वर में किया जाता है, ताकि मन को एक स्थान पर एकाग्र करने में सरलता हो. यदि संगीत सुनने के साथ ही छोटे बच्चे ॐ के उच्चारण के साथ उसका अभ्यास भी करें तो उन्हें मन को एकाग्र करने में सहायता मिलेगी, यह उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को निखारेगा.

इस प्रकार संगीत सुनना और उसका अभ्यास करना बच्चों के सम्पूर्ण मानसिक विकास में एक सकारात्मक भूमिका निभाता है. उनके व्यक्तित्व को संवारने में संगीत का महत्व विशेष स्थान रखता है.

सा, रे, ग, म, प, ध, नी, सा सरगम की ध्वनि मधुर संगीत का सूचक है.

चाइल्ड काउंसलर शिप्रा तिवारी तो कहती हैं कि बच्चों में संगीत स्वाभाविक रूप से मौजूद होता है. “ज्यादातर लोग व्यक्तिगत साक्षात्कार में बताते हैं कि उनके बच्चों का रुझान संगीत की ओर स्वतः होता है. उनकी प्रवृत्ति ही ऐसी होती है. क्या हम स्वयं उन्हें गाना गाकर नहीं सुलाते?”

किसी भी पार्टी में देखा जा सकता है कि जब तक बड़े उठकर गीत संगीत का आनंद लें, उससे पहले ही बच्चे थिड़कने लगने लगते हैं. शिप्रा तिवारी के अनुसार, बच्चों में बहुत ऊर्जा होती है. वास्तव में, संगीत की भावना बहु-बुद्धि (domain of multiple intelligence) का क्षेत्र है.

“आप कह सकते हैं कि म्यूजिक भी डाइट है. बच्चों को संगीत की उचित शिक्षा मिलनी चाहिए. ध्यान रहे कि इलेक्ट्रानिक स्क्रीनों और उपकरणों के अधिक उपयोग से बच्चों के दिमाग़ पर बुरा प्रभाव पड़ता है. बच्चों को म्यूजिकल वीडियो देखने के लिए स्मार्टफोन देना घातक साबित हो सकता है. आंखों से जब आप बच्चों से बात करते हैं, गाते हैं, नाचते हैं तो उसका सटीक असर होता है.”


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