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भूखे दिमाग को शांत रखें

किसी को भी यह नहीं बताने दें कि मोटापा सिर्फ चीनी, वसा, इंसुलिन, खराब दिनचर्या आदि से होता है. दिल ही ले लीजिए. इसकी जटिलता को समझने के लिए हमें अपने खाने को समझना होगा. तभी अपने स्वास्थ्य पर हम बेहतर नियंत्रण कर सकते हैं. मशहूर किताब ‘द हंगरी ब्रेन’ के लेखक स्टीफन गेनेट कहते हैं, हमें अपने दिमाग को कई तरह से समझाने की जरूरत है.

क्या दिमाग को वजन कम करने के लिए तैयार किया जा सकता है?

यदि अपनी खाने की आदतों को तर्कसंगत सोच के आधार पर विकसित करें तो ज्यादा विकल्पों की आवश्यकता नहीं होती. फिर तो न कोई मोटा होगा ना ही अस्वस्थ. पतला और स्वस्थ नागरिक देश के लिए बेहतर है. यह हर व्यक्ति के लिए भी बेहतर है. इसके विपरीत, यदि हमारे दैनिक भोजन व्यवहार मुख्य रूप से मस्तिष्क प्रणालियों द्वारा निर्देशित होंगे तब स्पष्ट रूप से आप सिर्फ आकर्षक और स्वादिष्ट भोजन ही खाना पसंद करेंगे.

आप ऐसा क्या ख़ास बताना चाहते हैं?

आहार संबंधी अधिकांश पुस्तकों के विपरीत मैं मोटापा जैसी जटिल समस्या के समाधान के लिए एक जादुई तरीका बताने से परहेज करता हूँ. यह कोई साधारण समस्या नहीं है. मोटापा काबू करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जरूरत है. अगर अचानक वजन घट सकता है तो फिर अचानक ही बढ़ भी सकता है. इसलिए स्वस्थ खाने के लिए व्यावहारिक सुझाव की आवश्यकता होती है. हमें यह देखना होता है कि कोई ज्यादा क्यों खाता है, क्या-क्या खाता है, कब-कब खाता है. फिर उसका विश्लेषण करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है. भूख की भक्ति नहीं की जा सकती, इसके कारणों का विस्तृत विश्लेषण जरूरी है.

‘द हंगरी ब्रेन’ के लेखक स्टीफन गेनेट.

 ‘द हंगरी ब्रेन’ किस मकसद से लिखी गई है?

इस पुस्तक के माध्यम से मैं तर्क दे रहा हूँ कि ज्यादा खाने की आदत और मोटापा का सीधा संबंध हमारी जीवन शैली और हमारे आस पास के माहौल से है. हमारा दिमाग जब गलत संदेश भेजता है, तब एक विसंगति पैदा होती है और हम दिमाग के गुलाम बन जाते हैं और मोटे हो जाते हैं, अस्वस्थ दिखते हैं. किताब के 11 अध्यायों में मैंने पड़ताल की है कि कैसे धीरे-धीरे हम दिमाग के गुलाम बनकर मोटे होते जाते हैं. और इसके लिए आप किसी एक तत्व या यहां तक ​​कि किसी एक कारण को दोष नहीं दे सकते.

हमारा स्वास्थ्य किन कारणों से बिगड़ रहा है?

आजकल के समाचार, हमारा काम और जीवन के विभिन्न मुद्दों के कारण लगातार तनाव व कम सोना कुछ कारण हैं जिन्हें मैं अभी बता सकता हूँ. लेकिन, बहुत कुछ आपके हाथ मैं है.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
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