Site icon भारत बोलेगा

फिल्म समीक्षा: शौकीन

shauken

बहुत से लोगों का मानना है कि जितनी ज़्यादा उम्र होती है इंसान उतना ही ज़्यादा बंधता जाता है. ज़्यादा उम्र का इंसान या तो पूजा-पाठ करता है या आराम. उसके जीवन में इसके आलावा और कोई रस  नहीं है.

हिन्दी सिनेमा ने भी ज़्यादातर ये ही दिखाया है – एक सास जो बहु पर अपना  हुकुम चलाती है, या फिर ससुर जो अपने से छोटी उम्र की लड़की को अपनी बेटी समान मानता है.

ऐसे में 1982 में समरेश बासु द्वारा लिखित एक फिल्म आई शौक़ीन, जिसने उस समय के तीन उम्रदराज़ लड़कों की कहानी लोगों को बताई और परिचित कराया 60 बसंत देख चुके तीन बूढों की जवां ख्वाहिशों से.

बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित यह सिनेमा कहानी है ओम प्रकाश चौधरी (अशोक कुमार), इन्दर सेन उर्फ़ एंडरसन (ए.के. हंगल) एवं जगदीश (उत्पल दत्त) की जो बूढ़े तो हुए हैं पर उनका दिल आज भी लड़कियों को देखकर उतना ही धड़कता है जितना जवानी में धड़कता था.

आर.डी  बर्मन के सुरों से पिरोया ये सिनेमा आपको ले जाएगा इन जवान दिलों के शौकीन सफर में, जिसमें इनका साथ देंगे मिथुन चक्रबर्ती (रवि) और रति अग्निहोत्री (अनीता).

फिल्म में अजय प्रभाकर के छायांकन से आप मिलेंगे ओम प्रकाश चौधरी से, जो रिटायर हो चुके हैं पर आज भी अपने घर की छत से लड़कियों को निहारने का काम नहीं छोड़ते.

उनका अकेले गाने पर नाचना, बार-बार दूर पास का चश्मा बदलना आपको उनके चुलबुलेपन से रूबरू कराएगा. वहीं एंडरसन एक ट्रेवल कंपनी के मालिक हैं और बड़े ही शौकिया मिज़ाज़ के हैं. इस बात का प्रमाण वह अपनी सेकेट्री के साथ रिश्ते से दे देंगे.

फिल्म में अगर कोई किरदार ऐसा है जिससे ज़्यादातर उम्रदराज़ लोग जुड़ पाएं तो वह है जगदीश का. बिल्डर और साहूकारी का काम करने वाले जगदीश को अपनी एक किराएदार अनुराधा से बहुत प्यार होता है, पर वह  इसका इज़हार कभी भी नहीं कर पाते.

कहानी में मज़ा तब आता है जब चौधरी की पत्नी तीर्थ यात्रा के लिए रामेश्वरम चली जाती हैं और तीनों दोस्त शहर से बाहर जाकर तफरी करने का निर्णय करते हैं.

रवि, जो मुंबई में काम न मिलने के कारण हताश है, चौधरी साहब के आठ दिन के सफर का ड्राइवर बनने के लिए अपना नाम सुखाराम रख लेता है और उन तीनों को गोवा ले जाता है ताकि वह अपनी प्रेमिका अनीता से भी मिल सके.

कहानी में मोड़ तब आता है जब तीनों जवां आशिकों का दिल आकर अनीता पे फंस जाता है. कैसे तीनों दोस्त अनीता  के साथ समय बिताने के लिए चालें चलते हैं और कैसे गोवा में अपने जवां दिल की हरकतों के कारण ये लोग फंस जाते हैं, जानने के लिए देखें शौक़ीन.

उत्पल दत्त का चिड़चिड़ापन, ए.के हंगल का अंग्रेजपना और अशोक कुमार का बचपना आपका बूढ़े लोगों को देखने का नज़रिया ही बदल देगा.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
Exit mobile version