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फिल्म समीक्षा: गली बॉय का टाइम

गली बॉय फिल्म रिव्यु

रैप बनाने के लिए पैसे की ज़रुरत नहीं. आप लिख सकते हैं और उसे एक सुर के जरिये कैसे भी कह सकते हैं, तो आप एक नया संगीत दे सकते हैं. आपकी धुन में फिर लोग रंग सकते हैं, और तब आपका ‘टाइम आएगा’. यही कहता है, बॉलीवुड का नया ड्रामा ‘गली बॉय’.

‘हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन; मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगे कामयाब एक दिन’. कुंदन शाह द्वारा निर्देशित ‘जाने भी दो यारों’ हर दर्शक को इस गाने के सहारे छोड़ गई थी. वहीं से आगे ले जाती है जोया अख्तर की फिल्म ‘गली बॉय’.

तभी तो ‘अपना टाइम आएगा’ जैसी पंक्तियों से ‘गली बॉय’ का रैप व किरदार धूम मचा रहे हैं. देश के 3000 से अधिक स्क्रीन पर रिलीज़ हुई फिल्म इंडिया और भारत दोनों के दिलों को भा रही है. हम सभी के अंदर कुछ कर गुजरने की तमन्ना होती है, और जब वह जुनून बन जाए तो फिर कायनात आपके साथ होती है.

आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी हम सभी के लिए नए अवसर लेकर आई है. आपके पास नए तरह का फोन है, रिकॉर्ड करने की आज़ादी है. आप यूट्यूब से तमाम चीज़ें सीख सकते हैं. इसी वीडियो प्लेटफार्म पर अपनी रिकॉर्डिंग पोस्ट कर सकते हैं, जिसे देखते-देखते हज़ारों-लाखों लोग लाइक कर सकते हैं.

गली बॉय में मुख्य किरदार मुराद कभी कॉलेज जाता है तो कभी मुंबई की बस्ती में अपने बाप से उलझता है. कभी ड्राइवर बनता है तो कभी छुप-छुपकर इश्क दोहराता है. साथियों के साथ सिगरेट पीता है तो कभी उनकी चोरी के कारनामों से अपनी असहमति जताता है. लेकिन इन भागम-भाग में खुद को खोने नहीं देता है.

बेहद लोकप्रिय ‘सलाम बौंबे’ और ‘स्लमडॉग मिलिनयर’ से एक कदम आगे बढ़कर मुंबई की बस्ती से जो हीरा ‘गली बॉय’ से निकलकर आता है, वह एक आम भारतीय का चेहरा है. सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में अपनी गिनती करवाने में सक्षम इस फिल्म में किरदार एक अलग मस्ती में दिखते हैं, वे अपने-अपने रोल में जान डालते दिखते हैं.

मुंबई की गलियों में रहने वाले स्ट्रीट रैपर्स की रियल लाइफ कहानी से प्र‍ेरित ‘गली बॉय’ में रणवीर सिंह और आलिया भट्ट कहीं भी अपनी दावेदारी नहीं पेश करते बल्कि अन्य किरदारों में घुले दिखते हैं. पहली बार साथ काम करते हुए भी इनकी केमिस्ट्री कारगार लगती है. इतना ही नहीं, निर्माता-निर्देशक-लेखिका ज़ोया अख्तर अपने साथी फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी के साथ अपना बैनर ‘टाइगर बेबी’ प्रोडक्शन भी ज़बरदस्त तरीके से लांच करने में सफल हुई हैं.

दो बात और

‘गली बॉय’ फिल्म महान बॉलीवुड अदाकार मनोज कुमार के ‘रोटी कपड़ा और मकान’ के स्लोगन को इम्प्रूव करते हुए ‘रोटी कपड़ा मकान और इंटरनेट’ की बात करती है. साथ ही यह फिल्म ‘कल हमारा है’ और ‘हम होंगे कामयाब एक दिन‘ जैसी भावना का सम्मान करते हुए ‘अपना टाइम आएगा’ के रैप को डंके की चोट के साथ रखती है.


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