Site icon भारत बोलेगा

बम्बई नगरिया तू देख बबुआ

“ई है बम्बई नगरिया तू देख बबुआ, सोने चांदी की डगरिया…”

कई साल पहले ये गाना सुना था. तब सोचा था कि क्या सचमुच वहां सोना चांदी है!

अब यह मुंबई है, पर इसे आज भी सपनों की नगरी ही कहते हैं; तब सोचती थी, कैसा वो नगर होता होगा. देखो कुदरत का खेल, मेरा मुंबई आना हुआ और इस शहर ने मुझे गले से लगाया.

आज जब फिर से साल भर बाद मैं यहां आई तो समझी कि क्यों इसे सोने चांदी की डगरिया कहते हैं!

मुंबई का नया अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा देखा. वाकई आंखें चौंधियां गईं. इतना विशाल और इतना सुंदर – भारत में इससे बेहतर और कोई ईमारत नहीं. इस हवाई अड्डे के खुलने से अब भारत दुनिया की लिस्ट में नंबर 2 पर आ गया है. और आना भी चाहिए. टेक्नोलॉजी और स्टाइल दोनों में अव्वल है मुंबई का ये नया इंटरनेशनल टर्मिनल जिसे T-2 कहतें हैं.

मैं तो ऐसा खोई कि बाहर निकलने का मन ही नहीं कर रहा था. फीलिंग कुछ इस तरह थी कि जैसे मैं किसी फॉरेन कंट्री में हूँ … बैंकाक, हांगकांग, एम्स्टर्डम, कुआलालम्पुर से भी अच्छा है मुंबई का टर्मिनल T-2.

अब वहां से जाना ही था तो रवाना हुए … बाहर आए तो एक नयी एलिवेटेड रोड दिखी जो की मिली सांता क्रूज़ में वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर.

रात को सारा शहर जगमगा रहा था. हल्क़ी बारिश हो रही थी, पत्ते उड़ रहे थे और पेड़ झूम रहे थे, शायद बारिश की ख़ुशी में. काली सुंदर सड़कों पर तेज़ भागती हुई गाड़ियां, जहां तक नज़र जा रही थी आसमान में सिर्फ बूंदें झिलमिला रही थीं.

बान्द्रा का सी लिंक जैसे कि हवा में झूल रहा हो … उफान उठाती हुई लहरों पर मुस्कुराता हुई चांदनी से खेल रहा हो. समुंदर से लगी हुई बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स लहरों का शोर सुन कर जैसे उनसे मिलने को मचल रही हों …

जाने ये सब हो भी रहा था या फिर मेरे मन का वहम उफन रहा था ! … जैसे कोई सपना. इसलिए मुंबई को सपनो का शहर कहते हैं. अब समझी.

हम हाथों में हाथ डाले दूर तक साथ चलते रहे … शहर हमे देख कर जैसे मुस्कुरा रहा हो … मुंबई मेरे सपनो का शहर … मेरी सोने चांदी की नगरिया.

“जय हो बम्बई धाम की.”


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
Exit mobile version