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पापा चुप क्यों हो गए

Journalists and media groups on Indian Air Force Strike on Pakistan-based terror organisation Jaish-e-Mohammad camps

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर बढ़ता तनाव अब पूरे देश में आम लोगों के घरों तक पहुंच गया है.

ऐसा लग रहा है जैसे हर घर में कोई न कोई पाकिस्तान से बदला लेने को तैयार है.

साथ ही देश के लिए मिटने मिटाने के लिए भी कई झुंड तत्पर दिख रहे हैं.

न्यूज़ चैनलों में बदले की भावना कुछ ज्यादा ही है.

उन चैनल के एंकरों का जोश तो सबसे ज्यादा उफान पर है.

एक एंकर ने भारतीय वायु सेना के हमले के बाद तो सोशल मीडिया पर भी अपना उद्गार किया.

पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में वायु सेना की बमबारी के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने फॉलोवर से पूछा: “जोश कैसा है?”

फिर, उन्होंने खुद ही अपने सवाल का जवाब दिया: “हाई, सर.”

फील ऐसा हो रहा है कि अगर किसी कारण हमारी सेना की ताकत कमज़ोर पड़ी तो सबसे पहले ये लोग ही हथियार उठाकर पकिस्तान से लड़ने बॉर्डर पर पहुंच जाएंगे.

पाकिस्तान से बदला लेने की भावना मेरे पापा में भी है.

पापा सलामत रहें, ठीक रहें और खुश रहें यही मेरी कामना रहती है.

पर, उनकी पाकिस्तान से बदला लेने की भावना और इच्छा पूरी करने के लिए मैंने उनसे कहा: “पापा, मैं ही कल कश्मीर चला जाता हूं.”

यह सुन कर पापा चुप हो गए.

मैं उनसे फ़ोन पर बात कर रहा था. पर, अगर वो सामने होते तो मुझे एक टक देखते ही रहते.

पापा, आखिर चुप क्यों हो गए?

देश अपनों से बनता है, और जब अपना कोई जंग पर जाने की बात करे तो डर लगता है, तकलीफ होती है और दुःख होता है. ऐसा क्यों?

अगर पापा चुप नहीं होते तो मैं देश के लिए और उनकी भावना के लिए पाकिस्तान को ख़त्म करने के लिए कश्मीर चला जाता और शायद खुद भी ख़त्म हो जाता.

पर, पापा चुप हो गए. शायद इसलिए मैं कश्मीर नहीं गया.

पापा ना ही दिल से कमज़ोर हैं और ना ही उनकी देश के लिए भावना अपने बेटे की सलामती से कम है.

पर, वो एक समझदार इंसान है.

पापा की समझदारी ने घर को उजड़ने से बचा लिया.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी
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