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अभिनन्दन आ गए

wing commander abhhinandan varthaman illustration air force plane

क्या अभिनन्दन आ गए? अभिनन्दन अब तक क्यों नहीं आए? अभिनन्दन कब आएंगे?

ऐसे ही कुछ सवालों के साथ, मार्च महीने का पहला दिन बीता. मार्च 1, 2019 को पूरे भारतवासियों को कुछ भी और नहीं सूझ रहा था.

पूरे देश ने अपना मार्च 1 अभिनन्दन के नाम कर दिया था. वह इंतज़ार का दिन था.

खबर थी कि भारत में वाघा बॉर्डर से प्रवेश करने के बाद वे अमृतसर-दिल्ली फ्लाइट से राजधानी पहुंचेंगे.

मेरे घर की खिड़की से दिल्ली में लैंड या टेक-ऑफ करते हवाई जहाजों को काफी नीचे से देखा जा सकता है.

शाम तक जब अभिनन्दन दिल्ली नहीं पहुंचे तब मेरे साथ रहने वाला हर कोई किसी भी हवाई जहाज की आवाज़ पर खिड़की से बाहर देखकर कहता “अभिनन्दन इसी प्लेन में होंगे.”

टीवी न्यूज़ चैनल पर भी अभिनन्दन छाए हुए थे. पूरे दिन उनकी ही चर्चा होती रही. उनसे जुड़ी पल-पल की खबर दी जा रही थी.

देश इंतजार कर रहा था.

देश का वीर सैनिक लौट रहा था, वह भी पाकिस्तान से. दो दिन से ज्यादा वक़्त उसने पाकिस्तान में बिताए थे.

उसने पाकिस्तान का एक एफ-16 जहाज मार गिराया था. भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति के माहौल में वह दोनों ही देशों में एक आइकनिक फिगर बन गया था.

पूरे दिन मेरा मन भी भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर ही फंसा रहा. साथ ही मैं एक सैनिक की मनोदशा भी भांपता रहा.

देश सुरक्षा में लगे हर एक सैनिक को अभिनन्दन के देश वापस आने के समाचार से ख़ुशी हुई. उसे ख़ुशी हुई कि एक परिवार उजड़ने से बच गया.

पर, उसके मन में यह ख्याल भी आया होगा कि अगर अभिनन्दन ने ड्यूटी की, तो वह भी तो बॉर्डर पर ही तैनात है. अभिनन्दन देश के लिए एक आइकॉन बन गया.

हर सैनिक अपनी ड्यूटी कर रहा है. देश के लिए वह दिन-रात अपने जान की बाजी लगा रहा है, हर पल.

सामने पाकिस्तान का बॉर्डर देखकर उसके मन में तरह-तरह के ख्याल आते होंगे. वह यह भी सोच रहा होगा कि अभिनन्दन उस अभियान का हिस्सा थे जो पाकिस्तान की घिनौनी हरकत की जवाबी कार्रवाई थी.

लेकिन, जिस पुलवामा आतंकी हमले के बाद वह कार्रवाई हो रही थी, उस पुलवामा के शहीदों का क्या?

पुलवामा हमले में हमारे 40 भाई हठात अकारण मार दिए गए. वे भी सैनिक थे. उन जवानों का इसी तरह नाम होगा क्या?

उनके लिए तो उनका परिवार तमाम ज़िन्दगी इंतज़ार करता रहेगा. उनका मार्च 1 कभी नहीं आएगा.

इससे पहले कि मेरा सैनिक मन कुछ और सोचता, मेरी खिड़की से एक और हवाई जहाज के गुजरने की आवाज़ आई.

मेरे साथ रहने वाले फिर खिड़की से बाहर देखकर बोलने लगे – “अभिनन्दन इसी प्लेन में होंगे.”

थोड़ी देर बाद सभी टीवी न्यूज़ चैनल एक स्वर में अभिनन्दन के दिल्ली आने की खबर देने लगे.

मार्च 1 की रात करीब 9.30 बजे अभिन्दन दिल्ली पहुंच गए.


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