बॉस ने पावरपॉइंट को नाकारा

फोर्ब्स 2019 की लिस्ट के अनुसार दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति व अमेज़ॅन कंपनी के संस्थापक और सीईओ जेफ बेजोस की एग्जीक्यूटिव मीटिंग्स में पावरपॉइंट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है.

बेजोस पॉवरपॉइंट के बदले इस पर बल दे रहे हैं कि उद्यमियों के साथ हो रही कार्यकारी बैठकों में सच्ची कहानियों के माध्यम से वास्तविक घटनाओं का उल्लेख हो.

गत वर्ष आयोजित फोरम ऑन लीडरशिप में एक चर्चा के दौरान बेजोस ने खुलासा किया था कि बैठकों में ‘नैरेटिव स्ट्रक्चर’ यानी ‘कथा संरचना’ अधिक प्रभावी होती है.

अमेज़ॅन कंपनी के संस्थापक और सीईओ जेफ बेजोस
अमेज़ॅन कंपनी के संस्थापक और सीईओ जेफ बेजोस.

बेजोस के इस घोषणा से नए उद्यमी एवं उनकी कंपनी के अधिकारी सदमे में चले गए थे, क्योंकि उन्हें तो पावरपॉइंट स्लाइड पर बुलेट पॉइंट पढ़ने की आदत थी.

लेकिन, धीरे-धीरे अब उन्हें यह एहसास होने लगा है कि छह से सात पृष्ठ के ज्ञापन को पढ़ने से उनकी समझदारी बढ़ रही है.

बैठकों में पहले वे लगभग 30 मिनट तक चुपचाप बैठते हैं, जब उन्हें वास्तविक वाक्यों, क्रियाओं और होने वाली बातचीत के बारे में पूरी जानकारी कथात्मक रूप से मिलती है.

जब हर कोई अपना ब्रीफ पढ़ लेता है तो उस विषय पर चर्चा करने के लिए वह बेहतर तैयार दिखता है. इससे पता चलता है कि बेजोस का प्रयास सही दिशा में जा रहा है क्योंकि सामान्य पावरपॉइंट प्रस्तुति से कहीं बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं.

आखिर बेजोस के इस कदम के पीछे क्या कारण हो सकता है, इसे जानने के लिए इन बिन्दुओं को समझा जा सकता है –

1.   हमारे दिमाग किसी कहानी को बेहतर याद रख सकते हैं.

2.   कहानियां प्रेरक होती हैं, उनसे प्रेरणा मिलती है.

3.   पॉवरपॉइंट में अधिकतर बुलेट पॉइंट्स बनाए जाते हैं जिससे अपने विचार पूरी तरह से साझा करने में सफलता नहीं मिलती है.

मानव सभ्यता की शुरुआत में जब पॉवरपॉइंट नहीं था, तब हमारे पूर्वज इकठ्ठा बैठकर ही बातें करते थे, और वे सफल समाज का निर्माण कर सकने में सक्षम भी हुए. यहां तक कि खाना पकाने के दौरान भी वे कहानियां सुनते-सुनाते थे. उनकी कहानियां मार्गदर्शन करती थीं, चेतावनी देती थीं और साथ ही प्रेरणा के रूप में भी कार्य करती थीं.

बैठकों में पॉवरपॉइंट के बदले ख़ास विषयों पर आपस में नोट बदलकर या सीधे चर्चा करके अधिक प्रभाव छोड़ा जा सकता है. तभी तो  महात्मा गांधी, संत टेरेसा, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, जॉन एफ कनेडी, अब्राहम लिंकन सरीखे लोग अपने कथनों के लिए आज भी प्रासंगिक हैं और उद्धृत भी किए जाते हैं.


भारत बोलेगा: जानकारी भी, समझदारी भी