सियासी मैदान में खिलाड़ी

क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर को जब राज्य सभा का सदस्य बनाया गया था तब बड़ी उम्मीदें थीं कि वह संसद के पटल पर खेल और खिलाड़ियों के पक्ष में आवाज बुलंद करेंगे लेकिन संसद के गलियारे सचिन के आगमन को तरसते रह गए.

सचिन यदा-कदा संसद पहुंचते, अख़बारों में उनकी तसवीरें छपती और फिर आंकड़े ढूंढें जाते कि सचिन कितनी बार संसद आए और बात वहीं समाप्त हो जाती.

सचिन के मुकाबले ओलंपिक पदक विजेता और छह बार की विश्व चैंपियन महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ज्यादा सक्रिय रहीं और उन्होंने गंभीरता से संसद में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.

इस बार के लोक सभा चुनाव खेल और खिलाड़ियों के लिहाज से महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं.

केंद्रीय खेल मंत्री राजयवर्धन सिंह राठौड़ राजस्थान के जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं और उनके सामने हैं महिला डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया.

दोनों ही ओलंपियन हैं. राठौड़ तो 2004 के एथेंस ओलंपिक में निशानेबाजी में रजत पदक हासिल कर चुके हैं.

चुनावों को खिलाड़ियों के लिहाज से संघर्षपूर्ण बनाते हुए कांग्रेस ने राजधानी दिल्ली की दक्षिण दिल्ली सीट से ओलंपिक कांस्य पदक मुक्केबाज विजेन्दर सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है जबकि बीजेपी ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर को पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. दिल्ली में 12 मई को चुनाव होने हैं.

इन घोषणाओं से पहले इस बात की भी गंभीर चर्चा थी कि दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार को कांग्रेस की तरफ से पश्चिम दिल्ली से टिकट दिया जा रहा है लेकिन अंत में यह सीट महाबल मिश्र के पास चली गई.

अख़बारों में ऐसी खबरें भी आ गईं कि सुशील पश्चिम दिल्ली से उतरने जा रहे हैं लेकिन अंत में उनके हाथ से यह मौका उसी तरह निकल गया जैसे उनके हाथ से 2012 के लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक निकल गया था.

सुशील के साथी रहे पहलवान योगेश्वर दत्त के भी हरियाणा के सोनीपत से चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा थी.

खिलाड़ियों का सियासी मैदान में उतरने का जिक्र हो रहा है तो पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान बाईचुंग भूटिया पीछे कैसे रह सकते हैं जिनकी हमरो सिक्किम पार्टी ने पहले चरण में सिक्किम की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था.

क्रिकेट से पूरी तरह संन्यास ले चुके गंभीर गत 22 मार्च को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे और इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रभावित हुए हैं.

गंभीर को पूर्वी दिल्ली की सीट मिली है जहां खेल सुविधाओं का जबरदस्त अभाव है और अब देखना होगा कि अपने प्रचार में वह खेल, खिलाड़ियों और सुविधाओं को लेकर कैसे वादे कर पाते हैं.

ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंद्र ने भारत के लिए खेलना छोड़ने के बाद फिल्मों में हाथ आजमाया था. जब वहां कामयाबी नहीं मिली तो वह प्रोफेशनल बॉक्सिंग में आ गए जहां उन्हें अच्छी-खासी सफलता मिली लेकिन राजनीति में अपना करियर शुरू करने के बाद उन्हें अपने प्रोफेशनल करियर को अलविदा कहना पड़ेगा.

खिलाड़ियों के लिए खेल के मैदान की पिच आसान होती है जहां उनके पास अपना हुनर दिखाने और देश का नाम रौशन करने का पूरा मौका होता है लेकिन राजनीति ऐसा कीचड़ है जहां दामन पर छीटें पड़ने हैं और कीचड़ उछाला जाना है.

ये खिलाड़ी सियासी मैदान पर तो उतर रहे हैं लेकिन इन्हें इसका ध्यान रखना होगा कि यहां पंच और बाउंसर खेल के मैदान से ज्यादा खतरनाक होते हैं.


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